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सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम।आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है।सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है।सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है।इसे पढ़ने के लिए हमें ज्यादा कुछ नहीं करना है बस हमें हनुमान जी की तस्वीर के सामने एक तांबे के कलश में पानी रखना है और हनुमान जी के लिए कुछ भी प्रसाद चाहे गुड़ का टुकड़ा भी क्यों ना हो रखना है फिर हमें अगर हमारे पास फूल हो तो हनुमान जी के तस्वीर के पास फूल चढ़ा देना चाहिए और एक दीया लगाकर हमें सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए सुंदरकांड के पाठ को हमें अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए जब तक हो सके इसे पूरा पढ़ना चाहिए और सुंदरकांड के पाठ के अंत में हमें हनुमान चालीसा पढ़ कर प्रभु को ध्यान में रखकर अगर हमारी कुछ भी मन में इच्छा हो तो आप उन्हें कह सकते हैं। अब हम वह हनुमान जी की तस्वीर के पास रखा हुआ जल ग्रहण कर लेना है यह जल अमृत के समान हो जाता है इस पानी को पीने से हमारे शरीर में बहुत ही उर्जा का अनुभव होता है और हमारे शरीर एक कष्टों का निवारण होता है।हम जिस तरीके से सुंदरकांड का पाठ करते हैं उस तरीके को आपसे साझा कर दिया है अगर इसमें कुछ भी त्रुटि हो तो आप सभी से माफी चाहते हैं और अगर आपको इससे संबंधित कुछ भी पुछना हो तो आप हमसे बेहिचक पूछ सकते हैं।मैं प्रतिदिन यह वाली सुंदरकांड का पाठ करती हूं यह 45 मिनट में संपूर्ण हो जाती है जय श्री राम 🙏🚩

सुंदरकांड का पाठ किस तरीके से करना चाहिए By वनिता कासनियां पंजाब ? जय श्री राम। आपने सुंदरकांड पाठ के बारे में पूछा शायद मैं उसका जवाब दे पाऊंगी क्योंकि मैं सुंदरकांड का पाठ प्रतिदिन करती हूं। सुंदरकांड तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का एक कांड है जिसमें हनुमान जी की महिमा का वर्णन है। सुंदरकांड का पाठ पढ़ने से हमें बहुत ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और हमें हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है हमारे शरीर में हमें फुर्ती महसूस होती है और हम बहुत हद तक हमारी बीमारियों को ठीक हुआ महसूस करते हैं यह एक बहुत ही बढ़िया पाठ है। सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं इसे पढ़ने में हमें कम से कम 1 घंटे का समय लगता है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें तो हमें हनुमान जी ने जो जो कार्य राम जी के लिए किए थे उसके बारे में हमें पता चल जाता है। हम इसे नित्य पढ़ सकते हैं और अगर हम चाहे तो इसे सप्ताह में एक बार मंगलवार या शनिवार के दिन भी पढ़ सकते हैं क्योंकि मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन होते हैं तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ पढ़ने का बहुत अधिक महत्व है। इसे पढ़ने के लिए हमें ज...
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Why is there tingling in hands and feet?By Vanitha Kasniya PunjabTingling in the hands or feet may be temporary or related to nerve damage from an underlying condition.Many common conditions and

हाथ पैरों में झुनझुनी क्यों होती है? By वनिता कासनियां पंजाब हाथों या पैरों में झुनझुनी अस्थायी हो सकती है या अंतर्निहित स्थिति से तंत्रिका क्षति से संबंधित हो सकती है। कई सामान्य स्थितियां और ऑटोइम्यून विकार झुनझुनी, साथ ही कुछ दुर्लभ स्थितियों का कारण बन सकते हैं। उपचार अंतर्निहित कारण पर निर्भर करेगा। हम सभी ने अपने हाथों या पैरों में एक अस्थायी झुनझुनी सनसनी महसूस की है। यह तब हो सकता है जब हम अपनी बांह के बल सो जाते हैं या बहुत देर तक अपने पैरों को क्रॉस करके बैठे रहते हैं। आप इस सनसनी को पेरेस्टेसिया के रूप में भी देख सकते हैं। भावना को चुभन, जलन, या "पिन और सुई" सनसनी के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। झुनझुनी के अलावा, आप अपने हाथों और पैरों में या उसके आसपास सुन्नता, दर्द या कमजोरी भी महसूस कर सकते हैं। कई तरह के कारक या स्थितियां आपके हाथों या पैरों में झुनझुनी पैदा कर सकती हैं। सामान्यतया, दबाव, आघात, या नसों को नुकसान झुनझुनी पैदा कर सकता है। नीचे, हम आपके हाथों या पैरों में झुनझुनी सनसनी के 25 संभावित कारणों का पता लगाएंगे। कारण सामान्य कारणों में 1. मधुमेह न्...

साइकोलॉजी के अनुसार दिमाग से जुड़ी हुई कुछ अहम बातें क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: साइकोलॉजी के अनुसार दिमाग से जुड़ी हुई कुछ अहम बातें क्या है?साइकोलॉजी के अनुसार रात में सोते वक्त कई बार हमारी आंखें अपने आप खुलती और बंद होती रहती हैं यह तभी होता है जब हम किसी बात से बहुत ज्यादा परेशान होते हैंसोते-सोते अचानक नींद खुल जाना यह दिखाता है कि आपने जरूर कुछ नया प्लान किया हुआ है और आपको वह काम जल्दी खत्म कर लेना चाहिए यह संकेत होता हैअगर आप सोते वक्त अपना हाथ अपने दिल पर रखकर व सीधे पीठ के बल लेट करें सोते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको बहुत ही डरावनी सपने आ सकते हैंरात को लिया गया निर्णय हमेशा सच होता है कभी रात में लिए गए निर्णय पसंद है मत करना क्योंकि रात को हमारा दिमाग बहुत शांत होकर सोचता हैरात में सोते वक्त अगर हमारी नींद अचानक टूट जाती है तो। बहुत मुश्किल है कि हैं की आप अब दोबारा सो पाएंगे यह स्थिति उन लोगों के साथ होती है। जो बहुत परेशान होकर सोए हो।अपने विपरीत बिना परेशानी के सोए हुए व्यक्ति की अचानक किसी कारणवश नींद टूट जाने उपरांत अगर मैं सोने की कोशिश करता है तो नींद उसे पहले के मुकाबले और भी गहरी आएगीजब कोई इंसान हमें धोखे में रखता है और अचानक हमें सच का पता चलता है ऐसी स्थिति में हमारा दिल बहुत तेजी से धड़कने लगता है कई बार लोगों की मौत भी हुईअगर आप अपने अवचेतन मन में यह डालते हैं कि आपको बस 3 घंटे बाद उठना भले ही आप 2 दिन से सोए ना हो लेकिन 3 घंटे के बाद तरोताजा फील करते हुए आप नींद से उठ जाएंगेसाइकोलॉजी कहता है कि आप जितना ज्यादा साइकोलॉजी जानते हैं आपके सक्सेस होने के चांस 70% बढ़ जाते हैं जिससे आप अपने मनपसंद कामों को जल्दी बुला कर सकते हैं

साइकोलॉजी के अनुसार दिमाग से जुड़ी हुई कुछ अहम बातें क्या हैं? By वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: साइकोलॉजी के अनुसार दिमाग से जुड़ी हुई कुछ अहम बातें क्या है? साइकोलॉजी के अनुसार रात में सोते वक्त कई बार हमारी आंखें अपने आप खुलती और बंद होती रहती हैं यह तभी होता है जब हम किसी बात से बहुत ज्यादा परेशान होते हैं सोते-सोते अचानक नींद खुल जाना यह दिखाता है कि आपने जरूर कुछ नया प्लान किया हुआ है और आपको वह काम जल्दी खत्म कर लेना चाहिए यह संकेत होता है अगर आप सोते वक्त अपना हाथ अपने दिल पर रखकर व सीधे पीठ के बल लेट करें सोते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको बहुत ही डरावनी सपने आ सकते हैं रात को लिया गया निर्णय हमेशा सच होता है कभी रात में लिए गए निर्णय पसंद है मत करना क्योंकि रात को हमारा दिमाग बहुत शांत होकर सोचता है रात में सोते वक्त अगर हमारी नींद अचानक टूट जाती है तो। बहुत मुश्किल है कि हैं की आप अब दोबारा सो पाएंगे यह स्थिति उन लोगों के साथ होती है। जो बहुत परेशान होकर सोए हो। अपने विपरीत बिना परेशानी के सोए हुए व्यक्ति की अचानक किसी कारणवश नींद टूट जाने उपरांत अगर मैं सोने...

कब्ज क्यों होती है, कब्ज का घरेलू उपाय क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वाराकब्ज कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली का एक नमूना है। जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में दीमक की तरह घुस जाती है और शरीर को जकड़ लेती है। फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है।उसके लिए हम आधुनिक चिकित्सक के पास जाते है। वह हमें तत्काल प्रभाव वाली दवाइयां प्रदान करता है। जिन्हें खाने से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, और जटिल बनती चली जाती है।आलस्य, रात का खाना खाते ही सो जाना, पानी कम पीना, खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना भूल जाना, खाना खाते ही अधिक पानी पीना, व्यायाम की कमी, शारीरिक क्रियाकलापों की कमी, चिंता, अवसाद, दवाइयों का अधिक सेवन, ड्रग्स, नशीली दवाओं का सेवन, नशा… इत्यादि। कब्ज होने के मुख्य कारण है।यह हमारे शरीर को दीमक की तरह धीरे-धीरे कमजोर बनाते है और सीधे हमारी आंत और पेट पर आघात करते है। जिससे आंते कमजोर हो जाते है। जो मल निष्कासन की क्षमता को कम कर देती है। धीरे-धीरे मल आंतों में सड़ने लगता है और टाइट होने लगता है। जिसको निकालने में आंते अक्षम हो जाती है, और कभी पेट साफ हो जाता है कभी नहीं होता।जब बहुत ज्यादा समस्या होती है तो, हम मल निष्कासन करने के लिए चूरन व दवाओं का इस्तेमाल करते है जो आंतो के साथ जबरदस्ती कर मल त्याग करवाती है। जो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। निरंतर इन दवाओं का सेवन करने से आंते और कमजोर हो जाती है। जो अल्सर और कैंसर का कारण बनता है।अधिक दिनों तक आंतों में मल सड़ने से गैस बनती है। जो ह्रदय घात का एक मुख्य कारण है।कब्ज के निवारण की बात करें तो आपको ऊपर लिखित सभी नियमों को ईमानदारी से पालन करना होगा। चिंता, अवसाद, नशा मुक्त रहना होगा। अपने दैनिक जीवन में व्यायाम को अपनाना होगा किसी भी तरीके के शारीरिक क्रियाकलाप बहुत जरूरी है।एक बात ध्यान रखें कब्ज की समस्या एक दो महीने में नहीं बनती है।इसको बनने में सालों लगते है तो, सही होने में भी कुछ महीनों का वक्त अवश्य लगेगा इसमें जल्दबाजी या उत्तेजना ना दिखाएं।इसके लिए आपको प्राकृतिक चिकित्सा और योग पद्धति के कुछ अभ्यास अपनाने चाहिए। इससे आपकी यह समस्या जड़ से खत्म होकर आपके शरीर को एक नया आयाम देगी। कुछ छोटे-छोटे अभ्यास जिनको कोई भी कर सकता है…सुबह उठते ही पेट भर गुनगुना पानी पिए, उसके बाद 1 से 3 मिनट ताड़ासन का अभ्यास करें और ताड़ासन में चलने की कोशिश करें। ऐसा करने से कुछ देर बाद आपको बहुत अच्छे वाला प्रेशर बनेगा। अगर आप की कब्ज की समस्या बहुत पुरानी है तो हो सकता है एक-दो दिन में प्रेशर ना बने, परंतु अभ्यास जारी रखें कुछ दिन बाद प्रेशर अवश्य बनने लगेगा।खाना खाते समय, खाने के बाद पानी ना पिए आवश्यकतानुसार एक या दो घूंट पानी पी सकते है। खाना खाने के आधे घंटे से 45 मिनट के अंतराल में पानी अवश्य पिए है।सुबह सूर्य उदय से पहले उठे, सूर्य उदय के बाद सोते रहने से पेट में एसिड बनने लगता है जो, कब्ज का मुख्य कारण है।सुबह किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया अवश्य करें कुछ नहीं कर सकते तो कुछ दूरी तक पैदल चले।रात्रि का भोजन किसी भी हाल में सोने से 2 घंटे पहले कर ले और हो सके तो सुपाच्य और हल्का खाना खाएं।योगासनों में ताड़ासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानपादासन, हलासन, अर्ध हलासन, मत्स्येंद्रासन… का अभ्यास कर सकते है। प्राणायाम में कपालभाति भस्त्रिका नाड़ी शोधन प्राणायाम महत्वपूर्ण है…वनिता कासनियां द्वाराकब्ज की समस्या का निदान के लिए प्राकृतिक और योगाभ्यास को अपनाएं। दवाइयों से बचे। दवाइयों के चक्कर में जितना पड़ेंगे उतना उलझते चले जाएंगे।

कब्ज क्यों होती है, कब्ज का घरेलू उपाय क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वारा कब्ज कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली का एक नमूना है। जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में दीमक की तरह घुस जाती है और शरीर को जकड़ लेती है। फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। उसके लिए हम आधुनिक चिकित्सक के पास जाते है। वह हमें तत्काल प्रभाव वाली दवाइयां प्रदान करता है। जिन्हें खाने से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, और जटिल बनती चली जाती है। आलस्य, रात का खाना खाते ही सो जाना, पानी कम पीना, खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना भूल जाना, खाना खाते ही अधिक पानी पीना, व्यायाम की कमी, शारीरिक क्रियाकलापों की कमी, चिंता, अवसाद, दवाइयों का अधिक सेवन, ड्रग्स, नशीली दवाओं का सेवन, नशा… इत्यादि। कब्ज होने के मुख्य कारण है। यह हमारे शरीर को दीमक की तरह धीरे-धीरे कमजोर बनाते है और सीधे हमारी आंत और पेट पर आघात करते है। जिससे आंते कमजोर हो जाते है। जो मल निष्कासन की क्षमता को कम कर देती है। धीरे-धीरे मल आंतों में सड़ने लगता है ...

दुर्गा माँ के अनेक रूप में से एक माँ शैलपुत्री के बारे में आप क्या बता सकते हैं?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया राजस्थान की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबनेहा जी प्रश्न के लिए धन्यवाद।आइए देखते हैं देवी माँ का शैलपुत्री नाम कहाँ किस संदर्भ में आया है।दुर्गा सप्तशती के पाठ के आरम्भ में पाठ की सिद्धि सफलता के लिए★ कवच ★कीलक और ★अर्गलाइन तीन का पाठ करने पर जोर दिया गया है।इनमें से प्रथम देव्या कवचम के पाठ से साधक का सम्पूर्ण शरीर सभी प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित हो जाता है।इसमें ५६ श्लोक हैं।देवी चण्डिका को नमस्कार के उपरांत इन श्लोकों में से आरंभ के तीसरे चौथे और पांचवें श्लोक में जगदंबिका के नौ नाम दिए हैं:प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्म चारिणी ।तृतीयं चंद्र घण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम।।पञ्चमं स्कन्द मातेति षष्टम कात्यायनीति च।सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम ।।नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा: प्रकीर्तिताः।उपरोक्त नौ नामों में प्रथम नाम शैलपुत्री है। इसका अर्थ हुआ गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती।यह हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री रूप में प्रकट हुईं। इसकी पुराण व्याख्या से इतर अन्य तांत्रिक व्याख्याएं भी हैं।विभिन्न पुराणों में इसका आख्यान है। इसी प्रकार अन्य नामों की भी व्याख्या है।_______________________________★शैलपुत्री पार्वती शिव की अर्धांगिनी हैं , शिव शक्ति के इस संयुक्त स्वरूप की शाक्त शैव दर्शनों में कई तरह से व्याख्या है।★यह शैलपुत्री पार्वती ही आदिशक्ति हैं जिनके विविध नाम रूप हैं। सृजन पालन संहार करने वाली शक्ति हैं,महा सरस्वती महालक्ष्मी महाकाली हैं, सर्व व्यापी चेतना हैं।________________________________दुर्गा सतशती के पंचम अध्य्याय में कहा गया है कि जब देवता , शुम्भ निशुम्भ राक्षसों से पराजित होकर गिरिराज हिमालय पर गए और वहाँ भगवती विष्णु माया की स्तुति करने लगे:"नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम।।"उस समय देवी पार्वती गंगाजी के जल में स्नान करने के लिए वहाँ आईं और देवों से पूँछा कि आप किसकी स्तुति कर रहे हैं? तब पार्वती जी के शरीरकोश से प्रकट हुई शिवा देवी बोलीं, यह मेरी ही स्तुति कर रहे हैं।◆पार्वती के शरीर से अम्बिका के प्रादुर्भाव से पार्वती का शरीर काले रंग का हो गया अतः वे हिमालय पर रहने वाली कालिका देवी के नाम से विख्यात हुईं।(दुर्गा सप्तशती पञ्चम अध्याय श्लोक ८८ )●देवी माँ के इन नौ नाम के बाद दुर्गा सप्तशती के अगले अर्गला पाठ में ग्यारह नाम वर्णित हैं :●१-जयन्ती २-मंगला ३-काली ४-भद्रकाली ५-कपालिनी ६-दुर्गा ७-क्षमा ८-शिवा ९-धात्री १०-स्वाहा ११-स्वधा .●दुर्गा सप्तशती में परिशिष्ट में दुर्गा के बत्तीस नाम भी दिए गए हैं।मेरे विचार से विगत कुछ दशकों से देवी माँ के कवच में वर्णित नाम मीडिया में कुछ अधिक ही चर्चित हो गए हैं जबकि जिस देवी कवच में ये नाम आरम्भ में आए हैं उस कवच का कोई उल्लेख मीडिया में नहीं देखा जाता है।●इन नौ नामों के चित्र भी गीता प्रेस गोरखपुर ने उपलब्ध कराए हैं इसलिए भी इन नौ नामों का मीडिया में चलन बढ़ा है।●जबकि नव रात्रि की देवी साधना में अथवा नित्य ही दुर्गा सप्तशती के समस्त या कुछ अध्यायों का जो पाठ करते हैं उनमें इन नौ नामों का अलग से उल्लेख नहीं किया जाता।कोई देवी साधक शरीर रक्षा के लिए नित्य कवच का पाठ करते हैं उनकी उपासना में ये नौ नाम पाठ आरम्भ में स्वतः ही आ जाते हैं। इन नौ नामों में कुछ के पुराण आख्यान भी हैं ।वस्तुतः साकार सगुण रूप आसानी से मन को ग्रहण होता है इसलिए त्रिदेव, गणेश, देवी माँ के सगुण रूप ही अधिक प्रचलित हैं।★★पार्वती कुंडलिनी शक्ति के रूप में:जब कुंडलिनी शक्ति का वर्णन किया जाता है तब इस शक्ति को छह चक्रों में से प्रथम मूलाधार चक्र में स्थित माना जाता है। रोचक तथ्य यह है कि इस मूलाधार चक्र के रक्षक पार्वती पुत्र गणेश जी हैं।◆इस षड़चक्र के आधार प्रथम चक्र में ही शक्ति का वास है और इसकी कृपा के लिए सर्वप्रथम गणेश उपासना आवश्यक है।गणपति अथर्व शीर्ष में भी रक्तवर्ण गणेश को मूलाधार में स्थित कहा गया है:त्वम मूलाधार स्थितोsसि नित्यं,त्वम शक्ति त्रयात्मकः त्वाम योगिनो ध्यायन्ति नित्यमयही बात इस कथा के रूप में प्रतीक रूप से वर्णित की गई है कि पार्वती जी ने अपने शरीर के उबटन से पुतला बना कर उसमें चेतना संचार कर द्वार रक्षा में नियुक्त किया ।शक्ति से चेतन इसी पुतले को बाद में गणेश कहा गया।★तंत्र की दृष्टि से देवी माँ को दस महाविद्याओं के रूप में वर्णित किया गया है : १ काली, २ तारा, ३ श्रीविद्या या त्रिपुर सुंदरी या ललिता, ४ भुवनेश्वरी, ५ त्रिपुर भैरवी,६ धूमावती, ७ छिन्नमस्ता, ८बगला, ९ मातंगी , १० कमला।देश के विभिन्न भागों में उपरोक्त दस महाविद्याओं में से प्रत्येक के सिद्ध मन्दिर भी हैं।इतना ही क्यों सारे भारत में देवी के 52 सिद्ध पीठ भी हैं । चित्र देखिए जो गूगल के सौजन्य से आगे प्रस्तुत है।★★इनमें से हिंगलाज पीठ व एक अन्य पीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में है जिसकी सेवा आज भी हिन्दू मुसलमान मिलकर करते हैं ।जबकि सुगंधा व एक अन्य बंगला देश में है।दुर्गा चालीसा में भी "हिंगलाज में तुमही भवानी" ऐसा उल्लेख है ।मेरी माताजी जब यह पढ़ती थीं तो समझ नहीं आता था कि इसका क्या अर्थ है।हिंगलाजदेवी मन्दिर।चित्र इण्डिया टाइम्स के सौजन्य सेजरा विचार कीजिए कि विभिन्न भूगोल भाषा व स्थानीय संस्कृति की विविधता के बाद भी इन 52 शक्तिपीठों ने हजारों वर्षों से भारत को कितने मजबूत सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधे रखा है। भले ही राजनीतिक दृष्टि से उन क्षेत्रों में अलग अलग राज्य वंशों का शासन रहा।पर अब आज के सिक्कूलर उधार बुद्धिवादी सनातन धर्म के इस एकता मूलक प्रभाव के प्रति एलर्जिक हैं।अभी देवी माँ के सगुण रूप की चर्चा की ।जबकि वेद की दृष्टि से विचार करें तो देवी माँ को मूल प्रकृति और ब्रह्म स्वरूपणी ही कहा गया है। देखिए अथर्व वेद का देवी अथर्व शीर्षम जिसमें देवों के यह प्रश्न करने पर कि देवी आप कौन हैं तो देवी ने कहा:मैं ब्रह्म स्वरूपणी हूँ। मैं ही प्रकृति और पुरुषरूपात्मक जगत हूँ। ….अहम अखिलं जगत। मैं ही रुद्र और वसु हूँ.. विष्णु ब्रह्म देव और प्रजापति को धारण करती हूँ…यह सगुण निर्गुण निरूपण बहुत ही मनोरम है।इसका सदैव अर्थ समझते हुए अध्ययन मनन करते रहना चाहिए।● प्रश्न के उत्तर का सार यानिष्कर्ष:●शैल पुत्री यह नाम देवी माँ के नौ नामों में से एक प्रथम नाम है जो शैलजा पार्वती को संबोधित है। यह देवी कवच में आया है तथा इसका पुराण में कथाआख्यान भी है।●शैल पुत्री पार्वती ही आदिशक्ति रूप हैं और शिव की अर्द्धांगिनी हैं। ●शैल पुत्री पार्वती ही महा सरस्वती महा लक्ष्मी और महाकाली हैं। शैलपुत्री पार्वती ही दश महाविद्या हैं,सृजन पालन संहारशक्ति हैं और चेतना रूप से सवर्त्र व्याप्त हैं।या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।: षड़चक्र चित्र, देश के शक्ति पीठ स्थल चित्र गूगल से, शैलपुत्री गीता प्रेस की पुस्तक से, हिंगलाज india times से साभार।

दुर्गा माँ के अनेक रूप में से एक माँ शैलपुत्री के बारे में आप क्या बता सकते हैं? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया राजस्थान की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब नेहा जी प्रश्न के लिए धन्यवाद। आइए देखते हैं देवी माँ का शैलपुत्री नाम कहाँ किस संदर्भ में आया है। दुर्गा सप्तशती के पाठ के आरम्भ में पाठ की सिद्धि सफलता के लिए ★  कवच ★कीलक और ★अर्गला इन तीन का पाठ करने पर जोर दिया गया है। इनमें से प्रथम  देव्या कवचम  के पाठ से साधक का सम्पूर्ण शरीर सभी प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित हो जाता है।इसमें ५६ श्लोक हैं। देवी चण्डिका को नमस्कार के उपरांत इन श्लोकों में से आरंभ के तीसरे चौथे और पांचवें श्लोक में जगदंबिका के नौ नाम दिए हैं: प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्म चारिणी ।तृतीयं चंद्र घण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम।। पञ्चमं स्कन्द मातेति षष्टम कात्यायनीति च। सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम ।। नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा: प्रकीर्तिताः। उपरोक्त नौ नामों में प्रथम नाम शैलपुत्री है। इसका अर्थ हुआ गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती। यह हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत...