कब्ज क्यों होती है, कब्ज का घरेलू उपाय क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वाराकब्ज कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली का एक नमूना है। जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में दीमक की तरह घुस जाती है और शरीर को जकड़ लेती है। फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है।उसके लिए हम आधुनिक चिकित्सक के पास जाते है। वह हमें तत्काल प्रभाव वाली दवाइयां प्रदान करता है। जिन्हें खाने से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, और जटिल बनती चली जाती है।आलस्य, रात का खाना खाते ही सो जाना, पानी कम पीना, खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना भूल जाना, खाना खाते ही अधिक पानी पीना, व्यायाम की कमी, शारीरिक क्रियाकलापों की कमी, चिंता, अवसाद, दवाइयों का अधिक सेवन, ड्रग्स, नशीली दवाओं का सेवन, नशा… इत्यादि। कब्ज होने के मुख्य कारण है।यह हमारे शरीर को दीमक की तरह धीरे-धीरे कमजोर बनाते है और सीधे हमारी आंत और पेट पर आघात करते है। जिससे आंते कमजोर हो जाते है। जो मल निष्कासन की क्षमता को कम कर देती है। धीरे-धीरे मल आंतों में सड़ने लगता है और टाइट होने लगता है। जिसको निकालने में आंते अक्षम हो जाती है, और कभी पेट साफ हो जाता है कभी नहीं होता।जब बहुत ज्यादा समस्या होती है तो, हम मल निष्कासन करने के लिए चूरन व दवाओं का इस्तेमाल करते है जो आंतो के साथ जबरदस्ती कर मल त्याग करवाती है। जो बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। निरंतर इन दवाओं का सेवन करने से आंते और कमजोर हो जाती है। जो अल्सर और कैंसर का कारण बनता है।अधिक दिनों तक आंतों में मल सड़ने से गैस बनती है। जो ह्रदय घात का एक मुख्य कारण है।कब्ज के निवारण की बात करें तो आपको ऊपर लिखित सभी नियमों को ईमानदारी से पालन करना होगा। चिंता, अवसाद, नशा मुक्त रहना होगा। अपने दैनिक जीवन में व्यायाम को अपनाना होगा किसी भी तरीके के शारीरिक क्रियाकलाप बहुत जरूरी है।एक बात ध्यान रखें कब्ज की समस्या एक दो महीने में नहीं बनती है।इसको बनने में सालों लगते है तो, सही होने में भी कुछ महीनों का वक्त अवश्य लगेगा इसमें जल्दबाजी या उत्तेजना ना दिखाएं।इसके लिए आपको प्राकृतिक चिकित्सा और योग पद्धति के कुछ अभ्यास अपनाने चाहिए। इससे आपकी यह समस्या जड़ से खत्म होकर आपके शरीर को एक नया आयाम देगी। कुछ छोटे-छोटे अभ्यास जिनको कोई भी कर सकता है…सुबह उठते ही पेट भर गुनगुना पानी पिए, उसके बाद 1 से 3 मिनट ताड़ासन का अभ्यास करें और ताड़ासन में चलने की कोशिश करें। ऐसा करने से कुछ देर बाद आपको बहुत अच्छे वाला प्रेशर बनेगा। अगर आप की कब्ज की समस्या बहुत पुरानी है तो हो सकता है एक-दो दिन में प्रेशर ना बने, परंतु अभ्यास जारी रखें कुछ दिन बाद प्रेशर अवश्य बनने लगेगा।खाना खाते समय, खाने के बाद पानी ना पिए आवश्यकतानुसार एक या दो घूंट पानी पी सकते है। खाना खाने के आधे घंटे से 45 मिनट के अंतराल में पानी अवश्य पिए है।सुबह सूर्य उदय से पहले उठे, सूर्य उदय के बाद सोते रहने से पेट में एसिड बनने लगता है जो, कब्ज का मुख्य कारण है।सुबह किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया अवश्य करें कुछ नहीं कर सकते तो कुछ दूरी तक पैदल चले।रात्रि का भोजन किसी भी हाल में सोने से 2 घंटे पहले कर ले और हो सके तो सुपाच्य और हल्का खाना खाएं।योगासनों में ताड़ासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, उत्तानपादासन, हलासन, अर्ध हलासन, मत्स्येंद्रासन… का अभ्यास कर सकते है। प्राणायाम में कपालभाति भस्त्रिका नाड़ी शोधन प्राणायाम महत्वपूर्ण है…वनिता कासनियां द्वाराकब्ज की समस्या का निदान के लिए प्राकृतिक और योगाभ्यास को अपनाएं। दवाइयों से बचे। दवाइयों के चक्कर में जितना पड़ेंगे उतना उलझते चले जाएंगे।
कब्ज क्यों होती है, कब्ज का घरेलू उपाय क्या है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब द्वारा कब्ज कोई बीमारी नहीं है। यह हमारी निष्क्रिय जीवनशैली का एक नमूना है। जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में दीमक की तरह घुस जाती है और शरीर को जकड़ लेती है। फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। उसके लिए हम आधुनिक चिकित्सक के पास जाते है। वह हमें तत्काल प्रभाव वाली दवाइयां प्रदान करता है। जिन्हें खाने से तुरंत राहत तो मिल जाती है लेकिन, समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, और जटिल बनती चली जाती है। आलस्य, रात का खाना खाते ही सो जाना, पानी कम पीना, खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना भूल जाना, खाना खाते ही अधिक पानी पीना, व्यायाम की कमी, शारीरिक क्रियाकलापों की कमी, चिंता, अवसाद, दवाइयों का अधिक सेवन, ड्रग्स, नशीली दवाओं का सेवन, नशा… इत्यादि। कब्ज होने के मुख्य कारण है। यह हमारे शरीर को दीमक की तरह धीरे-धीरे कमजोर बनाते है और सीधे हमारी आंत और पेट पर आघात करते है। जिससे आंते कमजोर हो जाते है। जो मल निष्कासन की क्षमता को कम कर देती है। धीरे-धीरे मल आंतों में सड़ने लगता है ...