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Showing posts from April, 2021

मंत्र सिद्ध होने पर क्या होता है?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦सिद्ध होगा, और उससे लाभ मिलेंगे तभी आप जाप करेंगे तो यकीन जानिए आपको कभी कोई लाभ नहीं होगा.पहले तो ये जानिए की मन्त्र जाप के विधान क्या है?१. क्या आप गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप क्र रहे हैं, या अपनी इच्छा से ही किसी मन्त्र का जाप क्र रहे हैं?२. क्या आप स्थान, जाप की संख्या, अवधि, दिशा, ब्रह्मचर्य, भूमि शयन और अन्य नियमों का पालन सतत क्र रहे हैं?३. पुरस्चरण के पश्चात हवन, तर्पण, मार्जन क्र रहे हैं?४. मन्त्र के देवता, ऋषि, छंद का स्मरण , मन्त्र के देवता का ध्यान, उनकी पूजा अर्चना क्र रहे हैं?इसके अलावा कई और भी विषय है, जिनको समझना जरूरी है,फ़िलहाल आपके प्रश्न का उत्तरमन्त्र सिद्ध होता है जापक के कुंडलनी स्तर बढने पर, मन्त्र के देवता के साथ स्थापत्य स्थिर होने पर और ध्यान में एकाकार होकर इष्ट से जुडाव होने पर, ये तीनो एक ही कार्य यानी की मन्त्र जाप में साधक की क्षमता पर बहुत निर्भर करते हैं.मंत्र, गुरु और उसके प्रभाव गुरुगीता के कथनानुसार गोपनीय ही रखे जाते हैं, तो व्यक्तिगत अनुभव कोई साधक यहाँ लिखेगा नही, फिर भी जो प्रमाणिक कथन मिलें हैं वह आपको बतलाता हूँ.१. आपकी कार्य करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.२. आपके सहचर्य से लोगो को आनंद और सकरात्मकता की अनुभूति होगी३. दुष्कर से दिखने वाले कार्य सहज में होने लगेंगे४. एक्सीडेंट, लोकभय, या अन्य आपदाओं का आप पर कम असर पड़ेगा५. मन्त्र में ध्यान के पश्चात आपको शान्ति का अनुभव होगा६. सुख दुःख सर्दी गर्मी सहने का अभ्यास बढ़ जायेगा७. आप दुसरो की मुश्किलें आसानी से हल कर पाएंगे८. पूर्वाभास् होने लगेगा९. आप रोग मुक्त होने लगेंगे१०. अनायास ही नये अवसर और नये विचार आपके जीवन को उच्च गति देंगे११. आपकी वाणी में अलग मिठास, मधुरता, और प्रभाव होगा१२. शरीर में अलग कांति, लालिमा और चेहरे पर अलग आभा नजर आएगी१३. लोगो की पहचान करना, उनहे आपसे क्या चाहिए ये आप जल्दी जान पाएंगे१४. पूर्व पाप कर्म दग्ध होने लगेंगे१५. यदि आप मासं मदिरा का सेवन (या अन्य व्यसन) में होंगे तो स्वयम से ही छोड़ देंगे१६. दिव्य अनुभूतियाँ होती रहेंगी१७. आपकी क्षमता के अनुसार दिव्य दर्शन, ध्यान में अंतर यात्रा, गोपनीय विषयों में उत्तर स्वयं से मस्तिष्क में प्रकट होने लगेंगे, अंतर आत्मा से उत्तर प्राप्त होने लगेंगे, आकाशवाणी क आभास होगा, स्वप्न में देवता का साकार या ब्रह्म का निराकार स्वरुप, ध्यान में किसी के साथ बेठे होने का संकेत१७. ध्यान में शीतलता का आभास१८. कुण्डलिनी शक्ति का आभास अलग अलग चक्रों में१९. बड़ी आपदाओं में भी आप घबराएंगे नहीं, सहज रूप से आप निपट पाएंगे२०. पाप कर्मो से रूचि घटेगी२१. संग्रह की इच्छा कम होगी२२. जीभ पर स्वतः नियंत्रण होगा२३. मन और शरीर के विकारों का नाश होना शुरू होगासुनने में शायद आपमें से कई लोगो को ये अटपटे लगे, पर कई साधकों के अनुभव रूपी ये २३ पॉइंट्स मेने लिखे हैं, इनके अलावा भी अनगिनत लाभ होते हैं,पर सावधान, लाभ के लिए करोगे जाप, तो कुछ समय के बाद मन्त्र की शक्ति क्षीण होगी और आप फिर ज्यों के त्यों,मेहनत करते रहे और सतत ध्यान, जप करते रहे.जय श्री रामVnita Kasnia Punjab3.1 हज़ार बार देखा गया43 अपवोट देखेंअपना अनुभव शेयर कर rhi हूं…. लोकडाउन की ही बात है तीन महीने पहले मैं एक महान आत्मा से सोशल मीडिया पर मिLi जो शिवजी के उपासक है मेंने उन्हें अपना हाथ दिखाया और अपने विवाह और सरकारी नौकरी से संबंधित सवाल किए… नौकरी से संबंधित सवाल पे उन्होंने एक गुरु मंत्र दिया और छह दिनों में 60000 बार उस मंत्र का जाप करने को कहा….मेंने अनुसरण किया और मंत्र जाप पूर्ण होने पर उन्हें बताया उसके दो रोज बाद जब मे छत पर बैठा कुछ लिखने का प्रयास कर रहा था तो अचानक से मेरा हाथ बहुत तेजी से कांपने लगा, मुझे लगा कहीं ये लकवा तो नहीं डर से उस समय लकवे से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को मेंने उन्हीं कुछ मिनटों मे जी लिया के कैसे ये पूरे शरीर मे फैलेगा…जब मेंने गुरूजी से इसके बारे मे बात की तो उन्होंने कहा ये मंत्र शक्ति है जो मुझ से सम्भल नहीं रही एक से दो दिन मे सब ठीक हो जाएगा वैसा ही हुआ…. हालाँकि मेंने रूद्राक्ष माला गलत तरीके से पकडी उसे अंगूठे और उसके पास वाली अंगुली से जपा, गुरु मुख के उपर से भी जाप किया जो गलत था पर मंत्र के प्रति मेरी आस्था और दोहराव सही था…..मुझे नहीं पता ये सिद्ध होगा या नहीं या हुआ या नहीं… पर इससे मुझमे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ जो मेरे लिए काफी थीमुझे कयी बातें सीखने को मिलीअब मेंने माला सही तरीके से जपता हूमुझे पता चला गुरु मंत्र किसी और को नहीं बताते…मेरा हमेशा से मानना है कि ये संसार एक एनर्जी चला रही है…अगर हम अच्छे कर्म करते है तो हमारे चारो तरफ एक सात्विक एनर्जी का आयाम रहता है…. और बुरे कर्मों से तामसिक एनर्जी का आयाम बन जाता है जो हमें और बुराई की तरफ ले जाता है….जब भी मैं कहीं शिवाय, महादेव, रुद्राय सुनता हू एक एनर्जी मेरे शरीर मे प्रवाहित होती है हर बार मेरे हाथो के बाल खड़े हो जाते हैं और एक जोश आता है…बोलो हर हर महादेव500 से अधिक अपवोटो के लिए आप सब का तहे-दिल से शुक्रिया, हालाँकि मेंने 10 से ज्यादा अपवोटो की भी उम्मीद नहीं की थी ये मेरी शायद दूसरी पोस्ट है इससे पहली वाली पोस्ट पे शायद 5 या 6 अपवोट आए थेपहली बार इतने अपवोट देख कर कितनी खुशी होती है कोई मुझ से पूछे….जब लोगों की इतने अपवोटो पर धन्यवाद करते देखता था तो मुझे लगा मुझे भी करना चाहिए और संपादित करते समय पोस्ट मे कुछ गलती ना हो इसलिए पहले पुरानी किसी पोस्ट को संपादित कर के देखा….यहा मैं थोड़ा और बताना chahungi जो पोस्ट लिखते समय मुझसे छुट gyi….कंपन सिर्फ मेरे उसी हाथ की उँगलियों मे हुआ था जिससे मेंने माला जपी थी और जिन उँगलियों का इसमे सहयोग था….

मंत्र सिद्ध होने पर क्या होता है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 सिद्ध होगा, और उससे लाभ मिलेंगे तभी आप जाप करेंगे तो यकीन जानिए आपको कभी कोई लाभ नहीं होगा. पहले तो ये जानिए की मन्त्र जाप के विधान क्या है? १. क्या आप गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप क्र रहे हैं, या अपनी इच्छा से ही किसी मन्त्र का जाप क्र रहे हैं? २. क्या आप स्थान, जाप की संख्या, अवधि, दिशा, ब्रह्मचर्य, भूमि शयन और अन्य नियमों का पालन सतत क्र रहे हैं? ३. पुरस्चरण के पश्चात हवन, तर्पण, मार्जन क्र रहे हैं? ४. मन्त्र के देवता, ऋषि, छंद का स्मरण , मन्त्र के देवता का ध्यान, उनकी पूजा अर्चना क्र रहे हैं? इसके अलावा कई और भी विषय है, जिनको समझना जरूरी है, फ़िलहाल आपके प्रश्न का उत्तर मन्त्र सिद्ध होता है जापक के कुंडलनी स्तर बढने पर, मन्त्र के देवता के साथ स्थापत्य स्थिर होने पर और ध्यान में एकाकार होकर इष्ट से जुडाव होने पर, ये तीनो एक ही कार्य यानी की मन्त्र जाप में साधक की क्षमता पर बहुत निर्भर करते हैं. मंत्र, गुरु और उसके प्रभाव गुरुगीता के कथनानुसार गोपनीय ही रखे जाते हैं, तो व्यक्तिगत अनुभव कोई साधक य...

क्या ध्यान के माध्यम से कुंडली जागरण किया जा सकता है?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबएक छोटी सी कहानी है रामायण से, की जब भगवान् श्री राम ने माता सीता को लंकापति राक्षस राजा रावण के चंगुल से मुक्त कराया और हंसी-ख़ुशी माता सीता और हनुमान जी के साथ अयोध्या अपने देश लौटकर शाही महल में विश्राम फरमाने लगे | कुछ समय पश्चात भगवान् राम को ज्ञात हुआ की सीता जी को हनुमान जी से कुछ ईर्ष्या हो गयी है क्यूंकि भगवान् राम का ध्यान सीता जी के बनिस्पत हनुमान जी पर ज्यादा रहता था, माता सीता को लगने लगा की श्रीराम, हनुमान जी पर मोहित हो गए हैं | ऐसा सोंचते हुए हर्ष में भरकर श्री राम ने हनुमान जी के शरीर से एक बाल को तोड़ लिया और उस बाल को सीता जी के कान के समीप ले गए | तब माता सीता को उस बाल में से मंत्र सुनाई दिया जो की लगातार गूँज रहा था "राम-राम-राम" तत्पश्चात श्री राम जी ने सीता जी से कहा की यह मैं नहीं जो हनुमान जी की तरफ खिंचा या मोहित हुआ जा रहा हूँ बल्कि यह वह हनुमान जी हैं जो मुझे लगातार अपनी तरफ खींच रहे हैं |तो कुछ ऐसी महिमा है अजपा जप की जिसमें मंत्र सदैव चलता रहता है, अनवरत, निरंतर प्रवाह के साथ, बड़े ही सहज रूप से, चाहे आप जाग रहे हों या सो रहे हों, इसके माध्यम से भगवान् से एक निर्बाध सम्बन्ध स्थापित रहता है इसलिए कहते हैं की मंत्र दोहराते रहो जब तक की अपने दिल में भगवान् को महसूस न करने लगो, यहीं से आपका ईश्वर के प्रति प्रेम, लालसा, जिज्ञासा, एक तड़प पैदा होती है और अन्ततः यह तड़प एक पूर्णता को प्राप्त होती है आपके ईश्वर के मिलने के साथ | तभी कहता हूँ मानसिक जप, अजपा जप की बात ही निराली है और इसको अपने तन-मन में चलाने के लिए हर एक मिनट-सेकंड चेक करते रहिये की राम नाम चल तो रहा है ना, बस फिर क्या कुछ समय बाद यह अजपा-जप स्थिति-प्रग्य अवस्था में सुचारू हो जाएगा |Image from Google !कहा जाता है की हनुमान जी सदा यह सुनिश्चित करने के लिए की उनका अजपा-जप बाधित तो नहीं हो रहा तो वह जम्हाई लेते समय भी राम-राम-राम कहते और चुटकी बजाते जाते थे | आज वर्तमान में जो निष्ठवान और श्रेष्ठ चरित्र ब्राहण हैं वो इस जम्हाई वाली चुटकियों को उपयोग में लाते हैं राम-राम-राम कहते हुए | यह तो रही रामायण की और ध्यान-अजपा-जप जप वाली बात बाकी फिर से मेरा विनम्र आग्रह है, विनती है, प्रार्थना है सभी अनुभवी और विद्वान कोरा लेखकों से की जब भी कोई अच्छा प्रश्न पूंछा जाए तो उसका पर्याप्त निष्ठा से उत्तर दें कृपया नाकि प्रश्नकर्ता को हतोत्साहित करें अपने ज्ञान और विद्वानता के मद में, विषेतः जब कुण्डलिनी, ध्यान, योग, चक्र-साधना, पूजा, पाठ आदि से समबन्धित संदेह मानव मन में घर कर गया हो तो उसका विस्तृत इलाज एक अच्छे उत्तर के रूप में किया जाना तो बनता है न मित्रों |आखिर आप कैसे एक ही पंक्ति का उत्तर देकर चलते बनते हैं जैसे की प्रश्नकर्ता ने कुछ गुनाह कर दिया हो या फिर वह उस जानकारी के लायक ही ना हो क्यूंकि बस एक मैं या आप ही योग्य हैं, लायक हैं, नहीं ना | एक पंक्ति में उत्तर देने का मतलब है या तो आपको प्रश्न के बारे में कुछ पता ही नहीं ? या पता तो बहुत कुछ है लेकिन बताना नहीं चाहते क्यूंकि आपको लगता है की वह जानकारी केवल आपके लिए ही है बस कोई और ना ही जान पाए | उत्तरों को पढ़ने पर मुझे खुद इतना अजीब और अपमानित सा लगा तो जिसने प्रश्न किया उसको कैसा लगा होगा, खैर माफ़ी मांगती हूँ अगर भावनाओं में आकर कुछ गलत लिख दिया हो तो |ऊपर जो लिखा उसके बाद मुख्य टॉपिक पर आती हूँ जो की है ध्यान के द्वारा कुण्डलिनी जागरण किया जा सकता है या नहीं ? देखिये एक बहुत ही बेसिक बात या भ्रान्ति हमारे महान भारत देश में कुण्डलिनी को लेकर यह फ़ैली हुई है कि केवल जो ध्यान, मैडिटेशन, योग करते हैं खासकर कुछ स्थान जैसे कि हिमालय की कन्दराओं, गुफाओं में, या किसी वन, वाटिका, उपवन आदि के नयनाभिरामी आश्रम में, किसी मठ में, मंदिरों में यानी की वो सब स्थान जहाँ हम जैसे आम व्यक्ति को सोंचने में कुछ झिझक होने लगती है और फिर यह मन में अहसास घर कर जाता है की हम लोग इस लायक ही नहीं, नाकाबिल हैं, रोजाना इतने झूंठ बोलते हैं, गलत सोंचते हैं दूसरों का, मन में टनों मैल भरा होता है, पाप कर्मों में फंसे रहने का अहसास तो मतलब ये सब बातें एक आम आदमी को इस सबसे अलग-थलग कर देती हैं और वह बस या तो घर से मंदिर और मंदिर से घर और या फिर घर में ही पूजा अर्चना के जरिये अपने आपको भगवान् से जोड़े हुए रहता है, इस सबसे आगे का सोंचना मतलब की उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात, उसके कर्मों की दीनता का अहसास, केवल पंडे-पुजारी, साधु, महंत, मठाधीश आदि ही यह सब कर सकते हैं, यह अहसास हमे आगे बढ़ने से रोकता है और यहीं से पाखंड और आडंबरों की शुरुआत होती है, हम गुरु ढूंढते हैं और गुरु मिल जाएं तो बात ही क्या, किसी दाढ़ी वाले बाबाजी को देखते हैं तो लगता है की यही वो है जिसको सबका भविष्य, वर्तमान और भूत पता है, यहाँ जब हम इन सबके संपर्क में आते हैं तो कुछ शुरूआती रुझानों के बाद परिणाम आने में देर नहीं लगती और फिर घोर निराशा क्यूंकि गुरु जी कुछ और ही निकले |Image from Google !सबसे पहली बात ये की आज हर छोटे-बड़े शहर की गली-गली में, नुक्कड़ों पर ना जाने कितने ही योगा सेंटर्स, वैलनेस, हीलिंग केंद्र, जिम आदि खुले हुए हैं और इन सभी में रोजाना सुबह-शाम ध्यान ही करवाया जाता बाकी बचे-खुचे अभिलाषी स्त्री और पुरुष अपने घरों पर ही योग और घ्यान करते हैं और करते आ रहे हैं सालों से तो क्या इन सभी का कुंडलिनी जागरण हो चूका है ? सभी बड़ी-बड़ी शक्तियों, सिद्धियों के स्वामी बन गए हैं ? भगवान् के लगातार संपर्क में रहते हैं ? कुछ भी जादू टाइप कर सकते हैं ?कुंडलिनी का मायाजाल कुछ ऐसा ही है की इसको बहुत बड़ा रहस्य बनाकर पेश किया जाता रहा है हालाँकि यह रहस्य वाली बात कुछ हद तक सच है लेकिन उस तरह से नहीं की सामान्य व्यक्ति इसको एक जादुई छड़ी की तरह देखने लगता है | यह बिलकुल भी सही नहीं है |श्रीमद्भागवत गीता में लिखा है की बस भगवान् को स्मरण करते हुए अपने कर्म करते रहो ! अब सोंचिये की भला इससे ज्यादा सरल और क्या है भला ? लेकिन यही आज सबसे कठिन बना दिया गया है, बात ये समझने की है कि सैंकड़ों तरह की पूजा-अर्चना करने के तरीके हैं, ना जाने कितने वेद, ग्रन्थ, काव्य, महाकाव्य, पुराण, शास्त्र, तंत्र, स्तोत्र, मंत्र, साधनायें हैं लेकिन सबका अंतिम उद्देश्य एकमात्र है ईश्वर से जुड़ना, ईश्वर से मिलना तो एक तरह से रास्ते अलग-अलग हैं लेकिन मंजिल सभी की एक ही है, यह केवल आपको चुनना है की आप कैसे जुड़ना चाहते हो भगवान् से ?ध्यान करना अच्छा है, बहुत अच्छा है लेकिन ध्यान-योग-साधना आदि से तो आपको सीधे-सीधे कुण्डलिनी और इसकी सिद्धियों, शक्तियों के भ्रम में डाला हुआ है तो फिर यह तो बिलकुल अलग ही हो गया ना ? भगवान् से जुड़ना है तो सिंपल राम नाम लें, शिवजी का नाम लें, हनुमान जी, गणेश महाराज जी, राधा रानी, सीता मैया, दुर्गा जी, आप एक बार शुरू तो करें !लेकिन ऐसे नहीं जैसे कि आप अभी तक करते हुए आ रहे थे, ऐसे तो बिलकुल भी नहीं ! बस थोड़ा सा तरीका बदलिए और वो तरीका है क्या भला ? तो वह तरीका है अजपा-जप, मानसिक - जप जिसमें जब भी राम जी का नाम लें तो हर कुछ मिनट्स में चेक करें, करते रहे की आप नाम ले रहे हैं या नहीं, अच्छा मैं एक उदाहरण देकर समझाता हूँ एक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर जब कोडिंग करता है तो लाइन बाई लाइन कोड को चेक करता रहता है की कोड सही तो लिख रहा है ना और उसके बाद उसको कम्पाइल, एक्सीक्यूट करता है बस ऐसे ही राम नाम लेते रहें और चेक करते रहे की राम नाम लिया जा रहा है न, कहीं रुक तो नहीं गया और चूँकि आप हर मिनट्स में चेक कर रहे हैं तो फिर राम नाम लेना रुकेगा नहीं , फिर यह हर सेकण्ड्स में होने लगेगा, आप हर सेकण्ड्स में चेक करने लगेंगे की अरे मैं राम नाम ले रहा हूँ या नहीं !Image From Google !बस फिर क्या यहाँ से आपका ध्यान घटित होने लगेगा मतलब की जब आप हर सेकण्ड्स पर यह चेक करने लगोगे की राम-नाम लिया जा रहा है या नहीं ! तो वह सारा समय जो अभी आप अपने भौतिक कर्मों, भौतिक दिनचर्या के प्रोजेक्ट्स, काम-धन्धे-व्यापार आदि पर से ध्यान हटाकर शिफ्ट कर चुके हो हर उस सेकंड के चेक करने पर और इसको कहा जाता है सिद्दत, इंटेंसिटी, तीव्रता, चाहत, प्रेम, भावना और यहाँ से असली कुण्डलिनी जागरण शुरू होगा क्यूंकि अब शुरुआत हुई है, पहले आप चेक करेंगे, करते रहेंगे, ध्यान शिफ्ट होकर भौतिक से शून्य की तरफ लगेगा तो शून्य आपमें घटित होने लगेगा, आप अब पृथ्वी से थोड़ा ऊपर आ गए हो, गुरुत्वाकर्षण थोड़ा कमजोर होने लगेगा, शून्य यानि की ब्रहांड जब आपमें घटित होगा उसके गुण-धर्म आपमें उतरेंगे तो कथित कुण्डलिनी शक्तियों का एहसास होने लगेगा, शून्य से सूक्ष्म का मिलना होगा, आप बदलने लगोगे, सबकुछ बदल जायेगा जब कुण्डलिनी जागरण होगा संपूर्ण नहीं नहीं पर थोड़ा-थोड़ा ही सही |आपका ध्यान अर्थात एक आम व्यक्ति का ध्यान और एक योग-साधना करने वाले व्यक्ति या योगी के ध्यान में केवल एक अंतर ही है बस की वह योगी डंट कर बैठा हुआ है, हठ में, धूनी रमाकर जैसे कह रहा हो ईश्वर से की ये ले भगवान् मैं बैठ गया हूँ बस तेरे ध्यान में, अब केवल और केवल तू ही है तो आना तो पड़ेगा ही इस योगी से मिलने | और एक आम व्यक्ति अपना काम भी कर रहा है क्यूंकि कर्मयोगी है और साथ में हर एक सेकण्ड्स चेक कर रहा है कि ईश्वर का नाम लिया जा रहा है या नहीं तो यह एक योगी के तुलना में कुछ कठिन है इसलिए मेरी नज़र में हर वो आम इंसान जो अपने भौतिक कर्म करते हुए ध्यान घटित करने पर लगनशील है, ज्यादा सम्माननीय है |बाल वनिता महिला आश्रमहर एक सेकंड चेक करते रहना है | अजपा-जप चलाकर ही दम लेना है | जय श्री राम |धन्यवाद !ॐ नमः शिवाय !

क्या ध्यान के माध्यम से कुंडली जागरण किया जा सकता है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक छोटी सी कहानी है रामायण से, की जब भगवान् श्री राम ने माता सीता को लंकापति राक्षस राजा रावण के चंगुल से मुक्त कराया और हंसी-ख़ुशी माता सीता और हनुमान जी के साथ अयोध्या अपने देश लौटकर शाही महल में विश्राम फरमाने लगे | कुछ समय पश्चात भगवान् राम को ज्ञात हुआ की सीता जी को हनुमान जी से कुछ ईर्ष्या हो गयी है क्यूंकि भगवान् राम का ध्यान सीता जी के बनिस्पत हनुमान जी पर ज्यादा रहता था, माता सीता को लगने लगा की श्रीराम, हनुमान जी पर मोहित हो गए हैं | ऐसा सोंचते हुए हर्ष में भरकर श्री राम ने हनुमान जी के शरीर से एक बाल को तोड़ लिया और उस बाल को सीता जी के कान के समीप ले गए | तब माता सीता को उस बाल में से मंत्र सुनाई दिया जो की लगातार गूँज रहा था "राम-राम-राम" तत्पश्चात श्री राम जी ने सीता जी से कहा की यह मैं नहीं जो हनुमान जी की तरफ खिंचा या मोहित हुआ जा रहा हूँ बल्कि यह वह हनुमान जी हैं जो मुझे लगातार अपनी तरफ खींच रहे हैं | तो कुछ ऐसी महिमा है अजपा जप की जिसमें मंत्र सदैव चलता रहता है, अनवरत, निरंत...

What are the best rare natural events on earth?By philanthropist Vanita Kasani PunjabA turtle riding a jellyfish.4Hyperion, the tallest tree in the world. It is 379 feet long (116 m)

पृथ्वी पर होने वाली सबसे अच्छी दुर्लभ प्राकृतिक घटनाएं क्या हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जेलीफ़िश की सवारी करने वाला एक कछुआ। हाइपरियन, दुनिया का सबसे लंबा पेड़। यह 379 फीट लंबा (116 मीटर) और लगभग 700-800 साल पुराना है। फुकैंग उल्कापिंड। माना जाता है कि यह लगभग 4.5 बिलियन वर्ष पुराना है। अंतरिक्ष से ऐसा दिखता है सूर्य ग्रहण। मोटे काले धुएं में से पक्षी अपना रास्ता खोजते हुवे। जापान के क्योटो में एक मंदिर, जो बर्फ से छिपा है। पृथ्वी की सतह पर बादलों द्वारा हजारों मील लंबी छाया। पिघला हुआ लावा और उस पर कयाकिंग करते हुवे। ओरियन नेबुला की उच्चतम रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें एक दूरबीन द्वारा ली गयी। एक फायर ओपल - यह वास्तव में एक चट्टान के अंदर सूर्यास्त जैसा दिखता है! थॉर का वेल, ओरेगन। जिसे कालकोठरी के द्वार के रूप में भी जाना जाता है। ' सूरज, पराबैंगनी के रूप में ली गयी तस्वीर। वज्रपात का प्रकोप। एक मानव आंख की तस्वीर। यहाँ हमे आईरिस की संरचनाओं का उल्लेखनीय विस्तार से पता चलता है। स्विट्जरलैंड में एक जमे हुए तालाब। एक भिक्षु के पैरों के निशान फर्श पर जब वह कई साल लगातार रोज उसी ...

Meditation In Hindi.By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब मेडिटेशन इन हिंदी। आज कल कि भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में इंसान का स्ट्रेस बहुत बढ़ गया हैं और ये स्ट्रेस बिल्कुल जायस है क्योंकि जब हमारा बचपन होता है तो किताबो का बोझ, अपनी जवानी में नौकरी का बोझ और आजकल तो नौकरी के बोझ से ज्यादा कई youngster को ब्रेक अप का बोझ मार देता हैं। फिर इस से बचने के लिए कई लोग स्ट्रेस कि दवाइयां का सहारा लेते हैं कई लोग शराब ओर तो ओर कई लोग सुसाइड का सहारा ले लेते है।इन सभी परेशानियों का हल भी हमारे ऋषिमुनीयों ने हमे बताया है लेकिन दिक्कत इस बात कि है कि, बताया हमे है और follow वो गोरे लोग कर रहे हैं और हम उन गोरे लोगो को follow कर रहे हैं। वैसे इस बात पे तो एक बड़ा आर्टिकल लिखा जा सकता है लेकिन हम यहां मेडिटेशन इन हिंदी के बारे में बात करने आए है तो चलिए शुरू करते हैं।वैसे इंटरनेट में आज कल ध्यान (मेडिटेशन) कि बहुत सारी डेफिनेशन मिल जाएगी और वो भी अलग अलग इसी लिए हमारा कन्फ्यूज़न ओर बढ़ जाता है लेकिन आपका ये कन्फ्यूज़न दूर होने वाला हैं क्योंकी ध्यान (मेडिटेशन) के बारे में सारी जानकारी मिलने वाली है।ध्यान(मेडिटेशन) क्या हैं ?धर्म में ध्यान।धारणा क्या हैं ?ध्यान (मेडिटेशन) की विधि।(ध्यान (मेडिटेशन) के प्रकार ) :-1. Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान)2. Chanting Meditation (जप ध्यान)3. एकाग्रता ध्यान (Concentration Meditation)4. थकाऊ ध्यान। (Exhausting Or Active Meditation)ध्यान कैसे करें ? जगह :-ध्यान के लिए कौन सा आसन उपयोगी है ?सोते समय भी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तो हम सोते-सोते ध्यान क्यों नहीं कर सकते?ध्यान के लिए मुद्रा :-मुद्रा विज्ञान (Mudra Vigyan)कौन सी मुद्रा ध्यान के लिए Best हैं ? मेडिटेशन कब करना चाहिए। (ध्यान कब करना चाहध्यान(मेडिटेशन) क्या हैं ?हमारे दिमाग में जीवात्मा जगत (Spritual World) से फ्रीक्वेंसी (तरंग) के स्वरूप में विचार आते है अगर इस विचारो को पकड़ना हम बंद करदे तो हमारा दिमाग विचार शून्य (ZeroThought) हो जाएगा। इसी बिना विचार कि स्थिति को ध्यान (मेडिटेशन) कहते हैं।अगर आपको लगता हैं कि ये तो बहुत आसान है तो आप ग़लत हैं क्योंकि हमे लगता है कि हमारे दिमाग में अभी कोई विचार नहीं चल रहा लेकिन हमारे अवचेतन मन में कोई ना कोई विचार चल ही रहा होता है।धर्म में ध्यान।मैंने देखा कि आज कल के युवा अध्यात्मिक को नहीं मानते, लेकिन Dear Youth, ध्यान भी तो एक अध्यात्मिक विषय है लेकिन फिर भी आप ध्यान (Meditation) पर भरोसा करते हो ना, शायद आज कल ध्यान (Meditation) पर हुए कई रीसर्च ने साबित किया है कि कैसे वो हमारे दिमाग और शरीर को इंप्रूव करता है इसी लिए।Dear Youth, आप मानो या ना मानो लेकिन हमारे धर्म, ग्रंथ, वेद आदी Scientific हैं और Science से दो कदम आगे भी है बस जरूरत है उसे Science से जोड़ ने कि।ध्यान (Meditation) के बारे में तो लगभग सभी धर्म मे बताया गया है तो समझ ही सकते हो ध्यान (Meditation) के Importance को।एसा नही की सिर्फ हिन्दू धर्म में ही ध्यान के बारे में बताया हैं सिख, जैन, बौद्ध, यहूदी, इस्लाम सभी धर्म में ध्यान के बारे में जिक्र किया गया हैं। कैसे ? चलिए देखते हैं 👇यहूदी के धर्म ग्रंथ तोराह में लिखा गया है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब परमात्मा से ज्ञान ले ने के लिए पहाड़ों पर जाते थे।ईसाई(christian) धर्म का धर्म ग्रंथ है, बाइबल। बाइबल में उत्पति के पुस्तक अध्याय 24 वचन 65 में लिखा गया है कि इसहाक संध्या के समय पर ध्यान करने जाते थे।इस्लाम धर्म का धर्म ग्रंथ है कुरान। कुरान में लिखा गया है कि, अल्लाह ने कुरान का ध्यान करने को कहा है।हिन्दू धर्म में ऋग्वेद में गायत्री मंत्र में ध्यान के बारे में बताया गया है।ॐ भूर् भुवः स्वः।तत् सवितुर्वरेण्यं।भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥हिन्दी में भावार्थ :-उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।आपको लग रहा होगा कि गायत्री मंत्र और उसके हिंदी अनुवाद में कहीं भी ध्यान के बारे में नहीं लिखा हैं। लिखा है लेकिन उस समझने के लिए धारणा को समझना पड़ेगा।ध्यान में दो स्टेप होते हैं।(1) धारणा(2) ध्यानध्यान करना नहीं पड़ता हो जाता है। नहीं समझ आया...🤔। चलो समझाता हूंजब हम सोने जाते है तब हम नींद लाते नहीं बल्कि नींद अपने आप आ जाती है। लेकिन नींद लाने कि जरूरी स्थिति पैदा कर सकते है जैसे कि आरामदायक बेड पर आराम से लेट जाना, लाइट ऑफ़ करना, एसी चलाना आदी।ठीक ऐसा ही ध्यान में होता है ध्यान करना नहीं पड़ता बल्कि अपने आप हो जाता है, जब हम धारणा करते है तब ध्यान अपने आप लग जाता है। तो चलिए देखते है धारणा क्या है।धारणा क्या हैं ?महर्षि पतंजलि कहते हैं,देशबन्धश्चित्तस्य धारणाअर्थात :-मन को किसी बाह्य विषय या आंतरिक बिंदु पर केंद्रित करना धारणा हैं।बाह्य किसी भी वस्तु पर आप अपना मन केंद्रित कर सकते हो जैसे कि मोमबत्ती के दीपक पर आदी। आंतरिक बिंदु यानिकि आप अपने मन को किसी भी चक्र पर केंद्रित कर सकते हो या अपनी सांसों पर और भी कई बाह्य या आंतरिक बिंदु पर मन को केंद्रित कर के आप धारणा कर सकते हो।जब आप ठीक से रोजाना धारणा करने लगोगे तब ध्यान अपने आप लग जाएगा। क्योंकी धारणा करने पर हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है और जब हमारा पूरा Focus किसी एक वस्तु या बिंदु पर होता है तब हमारे दिमाग में विचार आना बंद हो जाता हैं और जैसे कि मैंने शुरुआत में ही कहा हैं कि ध्यान (मेडिटेशन) का मतलब ही यही होता है कि दिमाग में कोई विचार का ना आना (विचार शून्य कि स्थिति)।एक्सपर्ट का मानना यह भी है कि धारणा का मतलब 'मान लेना ' भी होता है, गायत्री मंत्र में भी यही कहा हैं, हमे अंतरात्मा में ये मानना है कि हमारे सारे दुखों को दूर करने वाला परमात्मा हैं।इस तरह गायत्री मंत्र का धारणा से Connection हैं और धारणा का ध्यान से Connection हैं।अब यहां पे आप Confused मत होना कि धारणा का मतलब मन को 'केन्द्रित करना ' होता है या 'मान लेना '।क्योंकी दोनों एक ही हैं किसी भी चीज को मान लेने से हमारे दिमाग में उस चीज के बारे में कोई सवाल नहीं रहता और ना ही कोई सवाल, ऐसे में हमारा दिमाग पूरा Focused रहता है।जैसे कि मान को कि आप उड़ रहे हो अब इस बात पर आप के दिमाग में कई सवाल आ सकते है जैसे की मै कैसे उड़ सकता हूं, क्यों उड़ रहा हूं, कब, कैसे , क्यों आदी और ऐसे में हमारे दिमाग में हजारों सवाल और शंकाएं और विचार पैदा होते है लेकिन अगर अपने मान लेते हो कि आप उड़ रहे हो तब ये सारे सवाल शंका और विचार सभी दूर हो जाएंगे। और हमारा सारा Focus एक ही जगह पर आ जाएगा।ध्यान (मेडिटेशन) की विधि।(ध्यान (मेडिटेशन) के प्रकार ) :-ध्यान ज्यादातर तीन उदेश्य से किया जाता है।1. भक्ति मार्ग के लिए2. कर्म मार्ग के लिए3. ज्ञान मार्ग के लिएइन तीन मार्गो के आधार पर ध्यान कि 112 विधियां बताई गई है लेकिन मैं यहां आपको 5 विधियां के बारे में जानकारी दूंगा जिसे आप ट्राई कर सकते हो।1. Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान)Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) में Guided Meditation, Silent Seating Meditation आदी तरह के ध्यान (मेडिटेशन) आते हैं।इस तरह के ध्यान(Meditation) में शरीर को विश्राम कि स्थिति में लाने को कहा जाता हैं और फिर मन को Relax करने के लिए Guide करा जाता हैं।जब हम Relaxation Meditation (विश्राम ध्यान) करने जाते हैं तब कम ही खाना लेना चाहिए क्योंकि ज्यादा खाना खाने से विश्राम कि स्थिति आने पर नींद आ जाती हैं।इस तरह के ध्यान में हमे जो कहा जाए उसे मान लेना चाहिए, जैसा कि मैंने धारणा में बताया है।2. Chanting Meditation (जप ध्यान)Chanting Meditation में किसी भी मंत्र या श्लोक का जप करना होता हैं या प्राथना करना होता हैं।इस तरह के ध्यान में वैसे तो सिर्फ हमारे दिमाग कि pattern को तोड़ने के लिए जप करा जाता है क्योंकि जब हम लगातार जप करते रहते है तब हमारे दिमाग कि Regular pattern टूट जाती है ।लेकिन अगर हम गायत्री मंत्र या ओमकार का जप करते है तब उस मंत्र से जुड़ी Frequency उत्पन्न होती हैं, अगर मंत्र के विज्ञान के बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए तो ने already एक आर्टिकल लिख चुका हूं।Chanting Meditation में लगातार जब समय मिले तब मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और हर पल ये नहीं सोचना की मुझे इस से कुछ फायदा हुआ हैं या नहीं, बस उच्चारण करते रहना हैं।3. एकाग्रता ध्यान (Concentration Meditation)इस विधि में त्राटक, विपश्यना, अनापनसती आदि तरह के ध्यान आते है।इस प्रकार के ध्यान में हमे मन या आंखो को किसी एक बिंदु या वस्तु पर Focus करना होता है।इस प्रकार के ध्यान में ये महत्व नहीं की हम किस बिंदु या किस वस्तु पर Focus कर रहे हैं, ये महत्त्व है कि कितने समय तक हम उस पर Focus कर रहे है।हमारे दिमाग में हर 48 Second में विचार बदलता है और हर 45 मिनट में हमारी क्रिया बदलती है। हमारे शरीर या दिमाग कि इस Pattern तोड़कर अपना Focus कई हद तक बढ़ा सकते है।इस लिए अगर आपका कोई काम 45 मिनट से ज्यादा समय का है तो उसे कुछ समय में विभाजित ना करे।जैसे कि अगर आप पढ़ने बैठते हो तो, लगातार 90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़े, ना कि पहले 45 मिनट पढ़ लिया फिर छोटा सा Break और फिर 45 मिनट पढ़ लिया। ये 45 मिनट-45 मिनट के दो भाग बनाने से हमे Temporary फायदा होता है लेकिन अगर अपने लगातार 90 मिनट तक पूरे Focus के साथ पढ़ने कि आदत लगा दी ना फिर तो आप सोच भी नहीं सकते कि आपका Focus कितनी हद तक बढ़ जाएगा।और ये भी एक तरह का ध्यान ही हो जाता है और स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही कहा है कि अगर आप कोई काम Full Focus के साथ करते हो तो ये भी ध्यान ही हो जाता हैं।4. थकाऊ ध्यान। (Exhausting Or Active Meditation)इस ध्यान कि विधी में कुंडलिनी ध्यान, डायनेमिक ध्यान आदी प्रकार के ध्यान आते है।इस प्रकार के ध्यान में शरीर कि बिल्कुल भी परवाह नहीं कि जाती।अपने शायद देखा ही होगा कि पुराने जमाने में लोग आग पे चलना या फिर एसी क्रिया जो शरीर को बहुत तकलीफे देती है वैसी क्रिया करते थे, इसे हठ योग कहते है और ये ध्यान हठ योगी या कर्म योगी के लिए होता है।अगर आप ये ध्यान ठीक से करते हो तो आपको पता चल जाएगा कि आप और शरीर दोनों अलग अलग हैं।5. शाक्षी भाव ध्यान(witnessing meditation)इस प्रकार के ध्यान में आपको अपने विचारो को देखना होता है।पूरे दिन बस आपके दिमाग में आने वाले विचारों को ही देखना है अब ये नहीं सोचना कि ये विचार ग़लत है और ये विचार सही है और ना ही उस विचार के हिसाब से कोई Action लेना है, अगर आप ऐसा करते हो तो ये सोचना हो गया ना कि विचारो को Observed करना या देखना। तो सिर्फ और सिर्फ अपने विचारो को Observed करना है।जब आप सोने जाते हो तब भी आपको यही करना है, धीरे धीरे समय के साथ आप एक बार सही से करने लगोगे तब आप नींद में आने वाले सपने, विचार सब को अपनी पूरी Awareness के साथ देख सकोगे।आपके लिए Lucid Dreaming एकदम आसान हो जाएगा।भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद् भागवत गीता में भी यही कहा हैं,जब पूरी दुनिया सोती है तब एक सहज योगी जागता है।ध्यान के ये पांचों प्रकार के बारे में मैंने आपको सिर्फ basic जानकारी दी हैं ताकि आप अपने हिसाब से सरलता से Decide कर सको कि आपको किस प्रकार का ध्यान करना हैं, अगर इस पांचों प्रकार के बारे में विस्तृत बताया जाएं तो ऐसे ओर 10 आर्टिकल लिख सकते हैं, आपको जिस प्रकार का ध्यान करना है उसके बारे में थोड़ा गूगल करोगे तो सब जानकारी मिल जाएगी लेकिन अगर आप चाहते हो कि मैं इस बारे में विस्तृत जानकारी दू तो आप कमेंट कर के बता सकते हो।ध्यान कैसे करें ? ध्यान कैसे करें? इस बात को बहुत लोग Complicated मानते हैं और इसी का फायदा उठा के लोग भी इसे ओर Complicated बनाके आपको जानकारी देते है, लेकिन अब जो मै आपको जानकारी दूंगा उस से आपको पता चल जाएगा कि ये तो वाकई में बिल्कुल सरल और आसान है।जगह :-ऐसी जगह पसंद करे जहां शोर ना हो, ये जगह कोई भी हो सकती चाहे वो आपका कमरा हो या कोई मैदान बस शर्त इतनी है कि वहा शोर ना हो और ये जगह आपके लिए एकदम Comfortable हो।मेडिटेशन इन हिंदी।आज कल हमारा मोबाइल हर वक्त हमारे साथ ही रहता है तो मुझे पता है कि Meditation करने के समय भी वो आपके साथ ही आयेगा, आने से मना नहीं कर रहा पर उसे Silent कर देना।और एक जरूरी बात आप जिस जगह हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो उसी जगह हर रोज करो, क्योंकी जब आप इस जगह पर हर दिन ध्यान(मेडिटेशन) करते हो तो इस जगह Positive Energy से भर जाती है और इसी जगह पर ध्यान(मेडिटेशन) जल्दी लगता हैं।ध्यान के लिए कौन सा आसन उपयोगी है ?ऐसी कोई आसन कि जबरदस्ती नहीं है कि आप यही आसन में ध्यान कर सकते हो, सुखासन, पद्मासन या फिर जैसे हम Normally बैठकर भी ध्यान में बैठ सकते हैं, बस शर्त ये है कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी ऊपर कि ओर होनी चाहिए।सोते समय भी रीढ़ की हड्डी सीधी होती है तो हम सोते-सोते ध्यान क्यों नहीं कर सकते?बहुत लोगो का सवाल होता है, लेकिन यही लोगो को इस सवाल का सही जवाब नहीं पता होता है या सही जवाब कोई नहीं बताता है।बहुत लोग इसका जवाब देते हुए कहते है कि सोते सोते Meditation कर ने से नींद आ जाती है। हा, ये भी इस सवाल का जवाब सही है लेकिन मुख्य कारण या जवाब ये नहीं है।मेडिटेशन इन हिंदी।इस सवाल का मुख्य जवाब ये है कि हमारी रीढ़ कि हड्डी हमारे मन के साथ जुड़ी हुई होती हैं और जब हम लेटे हुए होते है तब हमारी रीढ़ कि हड्डी पर ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता हैं इसी लिए ऊर्जा (Energy) को नीचे से ऊपर तक जाने में ज्यादा तकलीफ होती हैं लेकिन अगर हमारी रीढ़ कि हड्डी ऊपर कि ओर सीधी होती है तो सिर्फ एक ही बिंदु पर गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force) लगता है और इसी कारण ऊर्जा (Energy) को ऊपर कि ओर मन कि तरफ जाने में कम से कम दिक्कत होती हैं।ध्यान के लिए मुद्रा :-इस आर्टिकल लिख ने मैंने जितना रिसर्च किया है ना उसमें ये तो पता चल गया कि, कोई मुद्रा के बारे में बात ही नहीं कर रहा जब कि मुद्रा तो ध्यान के लिए बहुत ज़रूरी है जल्दी Result लाने के लिए।कौन सी मुद्रा लगानी है ये बताने से पहले मैं आपको मुद्रा का Science बता देता हूं ताकि आपको पूरी तरह से भरोसा हो जाए कि मुद्रा वाकई में जरूरी है।मुद्रा विज्ञान (mudra vigyan)Dear, हमारा शरीर पंचतत्व से बना है।1. अग्नि2. वायु3. जल4. पृथ्वी5. आकाश ये ब्रम्हांड भी इन पांच तत्वों से ही बना है।और Dear क्या आपको पता है कि ये साधारण से दिखने वाले हाथ को प्रकृति ने कितना Powerful बनाया हैं, हमारे ये हाथ पंचमहाभूत को दर्शाते है जिस से पूरा ये ब्रम्हांड बना हैं।और इन्हीं पंचमहाभूत से हमारे शरीर कि तीन मुख्य ऊर्जा (Energy) का निर्माण होता हैं।1. वात(वायु + आकाश)2. पित(अग्नि + जल)3. कफ(पृथ्वी + जल)वात ऊर्जा वायु और आकाश को, पित अग्नि और जल को, कफ पृथ्वी और जल को दर्शाती है।और dear क्या आपको पता है कि हमारे शरीर में इन्हीं तीन ऊर्जा के असंतुलन से हम बीमार होते हैं। और हम सिर्फ अपने हाथो से ही इस तीन ऊर्जा को संतुलित कर सकते है। हमारा हाथ हमारे शरीर के सात चक्र को भी दर्शाता है।और विज्ञान भी कहता है कि हमारे शरीर कि 72,000 नाडीयों में से हज़ारों नाडीयों का अंत उंगलियों के अंत में होता है।और हमारे शरीर कि पीनियल ग्रंथि (pineal gland), पीयूष ग्रन्थि (pituitary gland) और थायराइड ग्रंथि (thyroid gland) इन सभी ग्रंथियों का अंत हमारी उंगलियों के सबसे अगले वाले हिस्से में ही होता है।इतनी सारी नाडीयों और ग्रंथियों कि वजह से उंगलियों के अगले हिस्से में बहुत मतलब बहुत सारी ऊर्जा (Energy) एकत्रित (Store) होकर रहती हैं। और हमारा हाथ शरीर के सात चक्रो को भी दर्शाता है।मेडिटेशन इन हिंदी।Image Source - Google | Image और जब हम मुद्रा लगाते हैं तब हमारी उंगलियों के Connection(संपर्क) कि वजह से शरीर कि ऊर्जा (Energy) शरीर के बाहर जाने के बजाय फिर से शरीर और दिमाग कि ओर बढ़ना शुरू हो जाती हैं, और इसी लिए हमारा शरीर ओर स्वस्थ और दिमाग ओर तेज हो जाता हैं।और Dear इसी लिए हमारे ऋषि-मुनियों कहा हैं,बहुना किमीहोक्तेन सारं वच्मि च दण्ड ते।नास्ति मद्रासमं किच्चित् सिद्धिदं क्षितिमण्डले ।।यानिकि पूरी पृथ्वी पर मुद्राएं जितनी सिद्धियां प्रदान कराने वाला कोई नहीं हैं।घेरण्ड संहिता, शिव संहिता आदी में मुद्राओं को विशेष स्थान दिया है, लेकिन हमें क्या हमें तो जब गोरे कहेंगे तभी हम करेंगे हे ना Dear. क्योंकि हमारे ऋषिमुनियो कहा तब हमने योगा नहीं किया तब हम गोरो कि सुनके जिम जाते थे और आज गोरे योगा कर रहे है तो हम भी उनकी तरह अब योगा के पीछे भागने लगे इस से अच्छा जब ऋषिमुनियो ने कहा तब ही भाग लेते।कौन सी मुद्रा ध्यान के लिए Best हैं ?मुद्राएं तो बहुत है लेकिन हम यहां सिर्फ ध्यान के लिए ही देखेगे।ध्यान करने के लिए सबसे best मुद्रा हैं ज्ञान मुद्रा।मेडिटेशन इन हिंदी।अब इस मुद्रा का नाम ज्ञान मुद्रा इस लिए है क्योंकि ये मुद्रा से दिमाग से Related सारी प्रॉब्लम भाग जाती है जैसे की Overthinking, Nagative Thought आना, गुस्सा आदी और ये मुद्रा से Concentration कई हद तक बढ़ जाता हैं।हमारी ये तर्जनी उंगली वायु तत्व के अलावा अपनी चेतना को भी दर्शाती हैं और अंगूठा इस ब्रम्हांड कि चेतना को दर्शाता है।और Dear, क्या आपको पता है कि जब हम खुदकी चेतना को इस ब्रम्हांड कि चेतना के साथ जोडते है तब हमारा दिमाग Superconscious कि तरफ धीरे धीरे बढ़ना लगता है। जब हम ज्ञान मुद्रा करते हैं तब यही होता है, खुद कि चेतना और ब्रम्हांड कि चेतना कि जोडना।आपको पता ही हैं कि वायु का स्वभाव चंचल होता है कभी यहां तो कभी वहा, हमारे शरीर में भी वायु तत्व पाया जाता है और इस तत्व के चलते ठीक उसी तरह हमारे दिमाग में विचार कभी यहां तो कभी वहां, चंचल ही रहते है।और Dear, तर्जनी उंगली हमारे इस वायु तत्व को संतुलित करती है तो जब हम ज्ञान मुद्रा लगा के ध्यान करते है तब विचार यहां वहां भटकने के बजाय जल्दी स्थिर हो जाते हैं।ज्ञान मुद्रा करने के लिए जैसे इमेज में दिखाया है ठीक उसी तरह बिना जोर लगाएं बस तर्जनी उंगली और अंगूठे को टच (Touch) करना हैं। और मुद्रा के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं है और कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।मेडिटेशन कब करना चाहिए। (ध्यान कब करना चाहिए)मैंने जो साक्षी भाव वाला मेडिटेशन बताया है वो आप पूरे दिन कर सकते हो, लेकिन आप दिन में व्यस्त रहते हो तो कब दोपहर को आराम के समय पर एक घंटा तो करना ही चाहिए और रात को सोने से पहले।और थकाऊ ध्यान सुबह उठकर चाय नाश्ता करने से पहले मतलब सीधा उठकर ही करना है।और जो जप, एकाग्रता और शिथिलता वाला ध्यान सुबह, शाम या दोपहर को भी कर सकते हो। एसा कोई फिक्स टाइम नहीं होता ध्यान करने के लिए, लेकिन जब आपको ध्यान लगने लगेगा तो टाइम अपने आप फिट जाएगा।ध्यान के फायदे :-ध्यान(मेडिटेशन) के तो अनगिनत फायदे है जैसे कि,एकाग्रता बढ़ती है।Memory Power बढ़ती है।स्वास्थ्य सुधारने लगता है।चहरे पे अलग ही चमक आ जाती हैं।Confidance का बढ़ावा होता है।अनिद्रा से राहत मिलती है।तनाव दूर हो जाता है।आप अपने मन को पूरी तरह से कंट्रोल करने लगते हो। ये सब फायदे को हम सामान्य मान सकते हैं लेकिन अगर ध्यान ओर गहरा हो गया तो हमे बहुत सिद्धियां मिलने लगती है जैसे कि,Third Eye की सिद्धियां।Lucid Dreaming.Telepathy etc.अब Dear, ध्यान(मेडिटेशन) के बारे मैं वो बताने जा रहा हूं जो कोई नहीं बताता, और ये बाते आपको अजीब भी लग सकती हैं।महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के मुताबिक ध्यान मौत तक जाने का एक रास्ता है। कैसे...? चलिए समझाता हूं👇महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग :-1. यम2. नियम3. आसन4. प्राणायम5. प्रत्याहार6. धारणा7. ध्यान8. समाधीअब इस अष्टांग योग के मुताबिक समाधी तक पहुंचने का मार्ग है, जिस में ध्यान भी है और समाधी का मतलब एक तरह से मौत भी होता है।इस लिए Dear, जब हमारा ध्यान गहरा होने लगता है तब हमे अजीब सी घबराहट महेसुस होती है क्योंकि तब मौत सामने दिखती है।लेकिन समाधी तक पहुंचने से पहले जो ऊपर मैंने फायदे या सिद्धियां बताई है वो भी मिलती है, लेकिन सच कहूं तो ये सब हमारी इच्छाएं हैं और जब तक इन इच्छा को हासिल करने के लिए ध्यान करेगे तब तक ध्यान नहीं लगेगा, इसी लिए निस्वार्थ भाव से ध्यान करो तभी ध्यान लगेगा।कई लोग इस अजीब सी घबराहट से ही ध्यान करना छोड़ देते है लेकिन हमे एसा नहीं करना क्योंकि ध्यान करोगे तो ये घबराहट जरूर होगी।और जब ध्यान लगने लगता है तब हमारी तकलीफे कम होने कि बजाए बढ़ने लगती है और हमे लगने लगता है कि हम इस समाज से अलग है और ये समाज भी आपको अलग ही मानेगा।इसी लिए महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, मीरा बाई आदी लोगो ने बहुत तकलीफे सहन कि, और तकलीफे दौरान ये सब इस समाज से दूर चले गए थे। लेकिन जब ये सारी तकलीफे और सिद्धियां को छोड़कर ध्यान करते है तब जाके Enlightenment प्राप्त होता है यानिकि समाधी यानिकि मोक्ष।बाल वनिता महिला आश्रमकैसे पता करे कि ध्यान लगा हैं?ध्यान एक अनुभव है उसे शब्दों में या लिख के नहीं बता सकते, जैसे कि अगर आपको आंख पर पट्टी बांध कर एक गुलाब जाबुन और एक रसगुल्ला खाने को दिया जाए तो आप बड़ी सरलता से बता सकोंगे कि ये गुलाब जाबुन हैं और ये रसगुल्ला, लेकिन लेकिन लेकिन अगर आपको कहा जाएं कि दोनों के स्वाद के बारे में बताओ तो आप सिर्फ इतना बता सकते हैं कि दोनों मीठे हैं बस, दोनों को अलग अलग वर्गीकृत नहीं कर सकते।ठीक इसी तरह ध्यान को आप महेसुस कर सकते है ना ही बता सकते और ना ही लिख सकते हैं। लेकिन महावीर स्वामी ने कुछ ऐसे अनुभव बताए है जो ध्यान के करीब पहुंचने से होता हैं।महावीर स्वामी ने बताया कि जैसे हम ध्यान के करीब पहुचते है हमें ऐसा लगने लगता है कि आवाजे एकदम बढ़ गई है और आपके मन में चित्र एकदम जल्दी से गुजर रहे हैं और फिर एकदम अचानक सब रुक जाएगा और गहरा सन्नाटा छा जायेगा, लेकिन इस गहरे सन्नाटा में भी आपको शाक्षी भाव रखना हैं मतलब ये नहीं सोचना चाहिए कि ये लगा सन्नाटा, कितना भयानक सन्नाटा है अगर ये सब सोचने लगे तो आप विचारो में फिर से आ जाओगे और ध्यान टूट जाएगा।ध्यान के करीब आने से हमे लगता है कि शरीर में चिटिया काट रही है या मच्छर काट रहे है, भयानक चित्र दिखने लगेंगे, जोरो का प्रकाश दिखता है या एसा लगता है कि भगवान खुद दिखने लगाते है, शरीर का मांस फफड़ने लगता है या सर में दर्द होने लगता हैं। लेकिन ये सब हमारे मन कि चालाकियां होती है ध्यान को हटाने ने के लिए लेकिन इन सभी चीजों में हमे शाक्षी भाव ही रखना हैं और आपको अपनी नौकरी धंधा में दिक्कतें आने लगेगी।ये सारी बाते लोग इस लिए नई बताते क्योंकि कई लोग इन्हीं बातो से डर कर ध्यान कि शरुआत ही नहीं करते।अगर Confused हो कि आपको कौन सा मेडिडेशन (ध्यान) करना हैं तो मैं आपको एक छोटी सी सलाह देना चाहता हूं, अगर आप कोई काम या जॉब कि खोज में है तो आपको एकाग्रता वाला ध्यान करना चाहिए क्योंकि जब ये ध्यान आप करोगे तो आपका Foces सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर होगा ऐसे में आपका कम जल्दी और आसन हो जाएगा।इसी लिए मैंने एकाग्रता ध्यान में आने वाले विपश्यना ध्यान पर एक संपूर्ण जानकारी से भरा आर्टिकल Vipassana वनिता पंजाब Meditation In Hindi लिखा हैं, इसे पढ़ने से विपश्यना ध्यान से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिल जाएगी।I Hope की मेडिटेशन इन हिंदी में आपको सारी जानाकारी मिल चुकी होगी, लेकिन फिर भी अब भी आपके दिमाग में कोई सवाल सता रहा हैं तो Comment कर के पुछ सकते हो। फिर मिलते हैं, ऐसे ही फुल जानकारी से भरे हुए मजेदार Next आर्टिकल में। तब तक के लिए अपना ख्याल रखना Take Care...🤗।

Meditation In Hindi. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब   मेडिटेशन इन हिंदी । आज कल कि भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में इंसान का स्ट्रेस बहुत बढ़ गया हैं और ये स्ट्रेस बिल्कुल जायस है क्योंकि जब हमारा बचपन होता है तो किताबो का बोझ, अपनी जवानी में नौकरी का बोझ और आजकल तो नौकरी के बोझ से ज्यादा कई youngster को ब्रेक अप का बोझ मार देता हैं। फिर इस से बचने के लिए कई लोग स्ट्रेस कि दवाइयां का सहारा लेते हैं कई लोग शराब ओर तो ओर कई लोग सुसाइड का सहारा ले लेते है। इन सभी परेशानियों का हल भी हमारे ऋषिमुनीयों ने हमे बताया है लेकिन दिक्कत इस बात कि है कि, बताया हमे है और follow वो गोरे लोग कर रहे हैं और हम उन गोरे लोगो को follow कर रहे हैं। वैसे इस बात पे तो एक बड़ा आर्टिकल लिखा जा सकता है लेकिन हम यहां  मेडिटेशन इन हिंदी  के बारे में बात करने आए है तो चलिए शुरू करते हैं। वैसे इंटरनेट में आज कल ध्यान (मेडिटेशन) कि बहुत सारी डेफिनेशन मिल जाएगी और वो भी अलग अलग इसी लिए हमारा कन्फ्यूज़न ओर बढ़ जाता है लेकिन आपका ये कन्फ्यूज़न दूर होने वाला हैं क्योंकी ध्यान (मेडिटेशन) के बारे में सारी जानकारी ...

Meditation (action) philanthropist vanita kasaniya punjabRead Vanita Punjab in another languagedownloadTake careEditMeditation is an action in which a person moves his mind to a particular state of consciousness.

ध्यान (क्रिया)  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब वनिता पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें ध्यान  एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य कोई लाभ प्राप्त करना हो सकता है या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। 'ध्यान' से अनेकों प्रकार की क्रियाओं का बोध होता है। इसमें मन को विशान्ति देने की सरल तकनीक से लेकर आन्तरिक ऊर्जा या जीवन-शक्ति (की, प्राण आदि) का निर्माण तथा करुणा, प्रेम, धैर्य, उदारता, क्षमा आदि गुणों का विकास आदि सब समाहित हैं। बंगलुरू  में  ध्यान मुद्रा  में भगवान  शिव  की एक प्रतिमा अलग-अलग सन्दर्भों में 'ध्यान' के अलग-अलग अर्थ हैं। ध्यान का प्रयोग विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के रूप में अनादि काल से किया जाता रहा है। यौगिक ध्यान संपादित  करें महर्षि  पतंजलि के  योगसूत्र में  ध्यान  भी एक सोपान है। चित्त को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केन्द्रित कर देना ध्यान कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ...

हलाला क्या है? क्या आप किसी ऐसी महिला को जानते हैं जो इस कुप्रथा का शिकार हुई हो?सन 1982 मे बी आर चोपड़ा की एक फिल्म आई थी जिसने मुस्लिम धर्म की कुप्रथाओं को सामने लाया था। फिल्म थी निकाह। इसमे तीन तलाक तथा हलाला जैसे मुद्दों का औरत पर क्या असर होता है ये दिखाने का प्रयास किया गया था।सभी धर्मों में कुछ ऐसी रीतियां व्याप्त हैं जिनके नकारात्मक प्रभावों के कारन उन्हें हम कुरीति कहने पर विवश हो जाते हैं। आज मैं इस्लाम धर्म में प्रचलित एक ऐसी ही कुरीति पर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहती हुँ।हलालाहलाला एक ऐसी प्रथा है जो एक लम्बे समय से इस्लाम धर्म का हिस्सा रही है और कई औरतों के अपमान की गवाह रही है। इसके अंतर्गत जब किसी मुस्लिम महिला का शौहर उसे तलाक दे देता है और पुनः उसी औरत से विवाह करना चाहता है तो वो सीधे तौर पर ऐसा नहीं कर सकता।अपनी ही तलाकशुदा बीबी से निकाह करने के लिए उस महिला को पहले किसी और मर्द से निकाह करना पड़ता है, उसके साथ कम से कम एक रात गुजारनी पड़ती है, सफ़लतापूर्वक सहवास करना पड़ता है, फिर वो दूसरा पति उसे पुनः तलाक देता है, तब जाकर वो महिला अपने पूर्व पति से फीर से निकाह कर सकती है।जाने कितनी मुस्लिम महिलाओं को इस दंश से गुजरने को मजबूर होना पड़ता है। और ये सब सजा उसे बिना किसी गलती के झेलनी पड़ती है।सामान्य लोगों कि बात बाद मे करुँगी। पहले एक जानकारी दे दूँ आपको। आप सब मीना कुमारी के नाम से तो परिचित होंगे ही। वही मीना कुमारी जिन्होंने पाकीजा, साहब बीबी और गुलाम तथा दिल अपना और प्रीत पराई जैसी हिट फ़िल्में दीं।मीना कुमारी का निकाह उस समय के सुविख्यात डायरेक्टर कमाल अमरोही से हुआ था। उनके रिश्ते कई उतार चढाव वाले रहे। एक बार गुस्से में आकर उन्होंने मीना कुमारी को तीन तलाक दे दिया। बाद में उन्हें काफी पछतावा हुआ तो उन्होंने माफी मांगी और फिर से मीना कुमारी से निकाह करने की बात कही। पर इसके लिए मीना कुमारी की शादी कमाल अमरोही ने उनका निकाह अपने दोस्त अमान उल्ला खां (ज़ीनत अमान के पिता) से करा दिया। मीना कुमारी को न चाहते हुए भी अमान उल्ला के साथ हमबिस्तर होना पड़ा। फिर इद्दत (मासिक धर्म) के बाद अमान उल्ला ने मीना कुमारी को तलाक दिया और तब जाकर कमाल अमरोही ने मीना कुमारी से फिर से निकाह किया। कहा जाता है कि इसका मीना कुमारी पर इतना बुरा मानसिक असर पड़ा कि वो अपनी तुलना तवायफ से करने लगीं थी।अब मैं अपने एक मित्र की रिश्तेदार की बात बताती हूँ। उस औरत का नाम था नगमा। नगमा को उसके शराब में डूबे रहने वाले पति ने सिर्फ इसलिये तलाक दे दिया क्योंकि उसने अपने धोखेबाज दोस्त की इस बात पर यकीन कर लिया कि नगमा अपने घरवालों से उसकी शिकायत करती है। बाद मे जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने अपने बच्चों की परवरिश का वास्ता देकर उसे हलाला करने को विवश किया। उसकी शादी अपने दोस्त से करा दी। बाद में उस दोस्त ने बोला कि निकाह के बाद भी उनका जिस्मानी रिश्ता नहीं बना जो कि हलाला के लिए जरूरी है। इस रिवाज की आड़ मे वो कई रातों तक नगमा का बलात्कार करता रहा। पर इससे पहले कि कोई उसकी नीयत को समझ पाता नगमा ने आत्महत्या कर ली। उसकी मौत को भी पुलिस तक पहुँचने नहीं दिया गया।मेरी नजर में हलाला एक ऐसी कुप्रथा है जो कहिं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता। पर रिवाजों के नाम पर कानून भी अक्सर खामोश ही रहा है। ये एक औरत को जीते जी नर्क यातना देने जैसा है।फोटो साभार :गुगल

आज 13 अप्रैल पहले नवरात्रे इन राशियों को होंगे कई बड़े फायदे, समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबक्लिक करके पढ़े तुला राशि तुला राशि के जातको के लिए आज का दिन शुभ रहेगा| इनका दोस्तों से संबंध मधुर होंगे| आप धार्मिक स्थल पर जा सकते हैं| अचानक धन लाभ के योग हैं| नया काम शुरू कर सकते है| तुला के लिए समय आपके अनुकूल है|मानसिक स्वास्थ आपके अनुकूल रहेगा|  पैसों की तंगी दूर होगी । आपको नौकरी एवं व्यापार से संबंधित कार्यों में विशेष रूप से सफलता प्राप्त होगी। आपको अचानक धन प्राप्त हो सकता है। धनु राशि बाल वनिता महिला आश्रम इस राशि के जातको को आज नौकरी और इंटरव्यू में सफलता मिलेगी|भाग्य आपके साथ रहने वाला है| व्यापार तथा धंधे में प्रगति होने की संभावना है|आप नए कार्य कर सकते है|आपके ऊपर आलस्य की अधिकता रहेगी|जीवनसाथी स्‍वास्थ्‍य विकार से ग्रसित हो सकता है|    बिजनेस और नौकरी में नए काम के आइडिया आपको मिल सकते हैं। घर में सुख शांति बनी रहेगी। मकर राशि आज इस राशि वालो का मित्रो के साथ वैचारिक मतभेद हो सकता हैं|आपका मन अशांत रहेगा|आपके दाहिने आंख में तकलीफ होने की सं...

पौराणिक मान्यता अनुसार बैकुंठ किसे कहते हैं?बाल वनिता महिला आश्रमवैकुंठ लोक एक ग्रह है जहां इस ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले भगवान विष्णु निवास करते हैं।वैकुंठ धाम भक्तों के लिए अंतिम यात्रा पड़ाव है। सभी उच्च कोटि की पुण्यात्माओं को वैकुंठ धाम में रहने का अवसर मिलता है।वैकुंठ लोक मकर राशि की दिशा में सत्यलोक से 2 करोड़ 62 लाख योजन ऊपर स्थित है।यह वैकुंठ धाम ना तो सूर्य से और ना ही चंद्र से प्रकाशित होता है। इसकी देखभाल करने के लिए भगवान के 96 करोड़ पार्षद तैनात हैं। सभी पार्षद भगवान की तरह ही चतुर्भुज आकार में रहते हैं।इस परमधाम में प्रवेश करने से पहले जीवात्मा विरजा नदी में स्नान करता है और चतुर्भुज रुप प्राप्त करता है।इस वैकुंठ धाम में श्रीविष्णु श्रीदेवी, भूदेवी, नीला देवी और महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं।वैकुंठ पहुंचने का रास्ता-जब जीवात्मा वैकुंठ की ओर महाप्रस्थान करती है जब उसको विदा करने के लिए समय के देवता, प्रहर के देवता, मास के देवता, अतल, सुतल , पाताल के देवता, सभी 33 कोटि के देवता उस जीवात्मा को वैकुंठ जाने से रोकते हैं या पुनः किसी योनि में भेजने का प्रयास करते हैं।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदेवता तरह तरह के प्रलोभन, भय , भ्रम पैदा करके जीवात्मा को रोकना चाहते हैं लेकिन जीवात्मा श्रीविष्णु के भक्ति में लीन रहता है तब सभी देव उसको विरजा नदी के तट तक छोड़ने जाते हैं। विरजा नदी से भगवान विष्णु के पार्षद जीवात्मा के साथ हो जाते हैं और उसे स्नान करवाकर चतुर्भुज आकार में भगवान के समक्ष उपस्थित करते हैं। जब जीवात्मा भगवान का दर्शन करता है तब वह असीम आनन्द की अनुभूति करता है फिर सदैव के लिए वैकुंठ धाम में रहने लगता है। वहां से लौटकर वापस नहीं आता।

पौराणिक मान्यता अनुसार बैकुंठ किसे कहते हैं? बाल वनिता महिला आश्रम वैकुंठ लोक एक ग्रह है जहां इस ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले भगवान विष्णु निवास करते हैं। वैकुंठ धाम भक्तों के लिए अंतिम यात्रा पड़ाव है। सभी उच्च कोटि की पुण्यात्माओं को वैकुंठ धाम में रहने का अवसर मिलता है। वैकुंठ लोक मकर राशि की दिशा में सत्यलोक से 2 करोड़ 62 लाख योजन ऊपर स्थित है। यह वैकुंठ धाम ना तो सूर्य से और ना ही चंद्र से प्रकाशित होता है। इसकी देखभाल करने के लिए भगवान के 96 करोड़ पार्षद तैनात हैं। सभी पार्षद भगवान की तरह ही चतुर्भुज आकार में रहते हैं। इस परमधाम में प्रवेश करने से पहले जीवात्मा विरजा नदी में स्नान करता है और चतुर्भुज रुप प्राप्त करता है। इस वैकुंठ धाम में श्रीविष्णु श्रीदेवी, भूदेवी, नीला देवी और महालक्ष्मी के साथ निवास करते हैं। वैकुंठ पहुंचने का रास्ता- जब जीवात्मा वैकुंठ की ओर महाप्रस्थान करती है जब उसको विदा करने के लिए समय के देवता, प्रहर के देवता, मास के देवता, अतल, सुतल , पाताल के देवता, सभी 33 कोटि के देवता उस जीवात्मा को वैकुंठ जाने से रोकते हैं या पुनः किसी योनि में भेजने का प्रयास ...

BAL VNITA MAHILA Ashram

तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) से छुटकारा दिलाते हैं ये घरेलू उपाय : Home Remedies for Oily Skin By  समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आजकल तैलीय त्वचा ( ऑयली स्किन ) की समस्या बहुत आम हो गई है। त्वचा के तैलीय हो जाने के कारण मुँहासे, व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स की समस्या होने लगती है। आपकी त्वचा कैसी है यह मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करता है। ये तीनों चीजें है- लिपिड का स्तर, पानी और संवेदनशीलता। इस लेख में हम तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के आसान उपाय (O ily skin care tips)  बता रहे हैं।     तैलीय त्वचा में लिपिड का स्तर, पानी और वसा की मात्रा ज्यादा होती है। तैलीय त्वचा में सामान्य त्वचा की तुलना में पाये जाने वाले सेबेसियस ग्लैंड ज्यादा सक्रिय होते हैं। तैलीय त्वचा होने की ज्यादा संभावना हार्मोनल बदलाव की वजह से होती है। कई बार जीवनशैली भी तैलीय त्वचा के लिए जिम्मेदार होती है। कुछ लोगों में प्राकृतिक रूप से तैलीय त्वचा पाई जाती है। तैलीय त्वचा में रोमछिद्र सामान्य त्वचा से ज्यादा बड़े पाये जाते हैं।   BAL Vnita Kasnia Punjab तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) क्या...