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योग में सक्रिय पिछले दस वर्षों सेयोग और प्राणायाम कितने कारगर हैं? पहले ये दोनों मुद्राएं करके बताएं😌🙏,

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब// 🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹 योग में सक्रिय पिछले दस वर्षों से योग और प्राणायाम कितने कारगर हैं? पहले ये दोनों मुद्राएं करके बताएं😌🙏 😝😝 आप नीचे टिप्पणियों में अपने चित्र सांझे कर सकते हैं 😌 योग, [1] बेहद फैला हुआ विषय है। इसे केवल किसी एक विषय के तौर पर आंकना या समझना मुश्किल है। योग एक जीवनशैली है। जिसमें शारीरिक क्रियाएं, विचार, आचरण, खानपान, आध्यात्म, ज्ञान, संबंध सभी को शामिल किया गया है। आसान शब्दों में योग एक जीवनशैली है। जिसके अन्तर्गत व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यत्मिक क्रियाओं और प्रथाओं द्वारा एक बेहतर जीवन की रूपरेखा बताई गई है। कई जगह योग का प्रारंभ सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान कहा गया है। किन्तु इसके उदयन का काल निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। अधिकतर वैदिक काल के दौरान ही इसके होने के सबूत हैं, १३०० से ३०० ईसा पूर्व। योग का मुख्य उद्देश्य है मोक्ष। मोक्ष उस हर विचार, आचरण, आहार, कर्म, क्रिया और जीवनशैली से जो दुख से जुड़ी है। तीन प्रकार के योग। कर्म योग, कर्म और किया से जुड़ा योग। भक्ति योग, इसका मुख्य उद्देश्य है ईश्वर की प्राप्ति अ...

जय श्री राम।

अगर आपके मुँह से श्री राम नाम निकलने लगे तो समझिये आप पर प्रभु की कृपा होने लगी हैं, सुबह सुबह का पहला काम सबसे कहिये! जय श्री राम🙏 *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 शुभ प्रभात🌹 If Shri Ram's name starts coming out of your mouth, then understand that God is pleased with you,  First thing in the morning, say the most!  Jai Shri Ram * By Socialist Vanita Kasani Punjab *  Good morning

जय श्री राम

🌹🌹 good morning 🌹🌹  Practice makes us strong,      Grief makes us human,    Necklaces teach us humility,                Win our       Enhances the personality,                    but           Faith is only                    Which us      Motivates to move forward.  * By social worker Vanita Kasani Punjab * 🌹🙏🙏🌹         ... Jai Shiva Shambhu. 🌹🌹 सुप्रभात 🌹🌹 अभ्यास हमें बलवान बनाता हैं,     दुःख हमें इंसान बनाता हैं,   हार हमें विनम्रता सिखाती हैं,                जीत हमारे       व्यक्तित्व को निखारती है,                   लेकिन           सिर्फ़ विश्वास ही है,      ...

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  योग(yoga) की सफलता के लिए 7 महत्वपूर्ण टिप्स *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 मन, शरीर और आत्मा को एकजुट करने वाले अभ्यासों का उपयोग करके तनाव को दूर करने के लिए योग को सिद्ध किया गया है। यदि आप योग के लिए नए हैं, तो ये योग(yoga) की सफलता के लिए 7 महत्वपूर्ण टिप्स:- 7 important tips for yoga success 1. अपने डॉक्टर से बात करें और बताएं कि किस प्रकार के योग से आपको अभ्यास करने का इरादा है। चित्रण के लिए अपने डॉक्टर के चित्र दिखाएं। यदि आपका उच्च रक्तचाप, ग्लूकोमा, रेटिना टुकड़ी का इतिहास या हृदय रोग है, तो आपका डॉक्टर विशिष्ट स्थिति से इनकार कर सकता है। सुनिश्चित करें कि आप अपने डॉक्टर की सिफारिशों का पालन करते हैं। 2. एक योगा क्लास ढूंढें जो आपकी क्षमताओं को सबसे अच्छी तरह फिट करे। भावी शिक्षकों से बात करें, और तय करें कि क्या आप साइन अप करने से पहले किसी कार्यक्रम को संभाल नहीं सकते हैं। एक बार में एक कदम उठाना बहुत महत्वपूर्ण है। अधिक शुरुआती कक्षाओं का प्रयास करने से पहले कुछ शुरुआती कक्षाओं का प्रयास करें। बहुत तेज़ी से आगे न बढ़ें। अपने शरीर को अपने व्य...

,। 🌱🌳आप सभी को🌱 बसंत पंचमी की 🌱हार्दिक शुभकामनाएं🌱🥀🌺🥀🌴🌿by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌺🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌱🥀जय माता सरस्वती की🌱🌱🌺🌺सुबह प्रातः वंदना जी🌺🌺🙏🙏#वसन्त_पञ्चमी#हिंदू_पर्व जिसमें #देवी_सरस्वती_की_पूजा की जाती है🌺🌿🌲🌺🌿🌺🌲🌳🌿🌺🥀🌴🥀🌿🥀🌷🌷🌱🥀🌿वसंत पञ्चमी या #श्रीपंचमी एक हिन्दू का त्योहार है। इस दिन #विद्या_की_देवी_सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का फूल मानो सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर मांजर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।▪️वसन्त पंचमी कथा🌴🌺🌿🌲🌳🌿🌺🌲उपनिषदों की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है।हालाकि उपनिषद व पुराण ऋषियो को अपना अपना अनुभव है, अगर यह हमारे पवित्र सत ग्रंथों से मेल नही खाता तो यह मान्य नही है।🌺🥀🌱🌷🌴तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमण्डल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की। ब्रम्हा जी के किये स्तुति को सुन कर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सम्मुख प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आव्हान किया। विष्णु जी के द्वारा आव्हान होने के कारण भगवती दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गयीं तब ब्रम्हा एवं विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने का निवेदन किया।🥀🌱🌴🌺🌿ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण आदिशक्ति दुर्गा माता के शरीर से स्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में वर मुद्रा थे । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी "सरस्वती" कहा।🌺🥀🌱🌷🌴फिर आदिशक्ति भगवती दुर्गा ने ब्रम्हा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई ये देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेंगी, जैसे लक्ष्मी श्री विष्णु की शक्ति हैं, पार्वती महादेव शिव की शक्ति हैं उसी प्रकार ये सरस्वती देवी ही आपकी शक्ति होंगी। ऐसा कह कर आदिशक्ति श्री दुर्गा सब देवताओं के देखते - देखते वहीं अंतर्धान हो गयीं। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए।🌺🌿🌵🌹🌲सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है-"प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु"🌺🥀🌱🌷🌴🌿अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और तभी से इस वरदान के फलस्वरूप भारत देश में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन पतंग उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा।▪️पर्व का महत्व🌷🌱🌴🥀🌿वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।🌺🥀🌴🌿🌲यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।▪️पौराणिक महत्व 🌱🥀🌺🌿इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दण्डकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे जूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया।🌺🥀🌴🌿🌲दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।🌱🌷🌴🥀🌿🌺▪️ऐतिहासिक महत्व वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद ग़ोरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। मोहम्मद ग़ोरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर ग़ोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।🌺🌺🌲🥀🚩चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।🌱🚩ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥🥀पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।🌺🌿🌲🌲🌺सिखों के लिए में बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था।वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा सम्बन्ध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा?बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। परिणामत: उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी हो गया।🌱🥀🌺कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो? इस पर जल्लाद ने दिल मजबूत कर तलवार चला दी, पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा। वह आकाशमार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी। पाकिस्तान यद्यपि मुस्लिम देश है, पर हकीकत के आकाशगामी शीश की याद में वहां वसन्त पंचमी पर पतंगें उड़ाई जाती है। हकीकत लाहौर का निवासी था। अतः पतंगबाजी का सर्वाधिक जोर लाहौर में रहता है।🥀🌺🌴🌿🌲वसंत पंचमी हमें गुरू रामसिंह कूका की भी याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। कुछ समय वे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में रहे, फिर घर आकर खेतीबाड़ी में लग गये, पर आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग आने लगे। धीरे-धीरे इनके शिष्यों का एक अलग पंथ ही बन गया, जो कूका पंथ कहलाया।🥀🌺🌿🌲🌲गुरू रामसिंह, गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अन्तरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने भी सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिष्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर भैणी गांव में मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्य भड़क गये। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया, पर दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गयी। अतः युद्ध का पासा पलट गया।इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये। इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।▪️जन्म दिवस🌱🥀🌴🥀🌿🌿राजा भोज का जन्मदिवस वसंत पंचमी को ही आता हैं। राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था। 🥀🌴🌿🌺वसन्त पंचमी हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्मदिवस (28.02.1899) भी है। निराला जी के मन में निर्धनों के प्रति अपार प्रेम और पीड़ा थी। वे अपने पैसे और वस्त्र खुले मन से निर्धनों को दे डालते थे। इस कारण लोग उन्हें 'महाप्राण' कहते थे। इस दिन जन्मे लोग कोशिश करे तो बहुत आगे जाते ।🌺🙏🌲🌳▪️वसंत पंचमी पर न करें 5 गलतियां************************************1. वसंत पंचमी को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।🥀🌺🌿🌲2. वसंत पंचमी के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव हो तो आज के दिन स्नान और पूजा के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।🥀🥀🌿🌿🌿3.. वसंत पंचमी के दिन किसी से वाद-विवाद या क्रोध नहीं करना चाहिए। बसंत पंचमी पर कलह होने से पितृ को कष्ट पहुंचता है।🌱🥀🌺4. वसंत पंचमी के दिन बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इस दिन नदी, सरोवर या पास के तालाब में स्नान करना चाहिए और मां सरस्वती की पूजा अराधना के बाद ही कुछ खाना चाहिए।🥀🌺5. वसंत पंचमी के दिन भूल से भी पेड़-पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए।🥀🌴🌿#शुभ_मुहूर्त प्रात: 4:12 मिनट से दोपहर 12:47 मिनट तक🌺🙏#मंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:🥀🌺*🙏🏻🌸{{ जय माँ सरस्वती }} 🌸🙏🏻**चरण उनके पूजे जाते है...**जिनके आचरण पूजने योग्य हो।**अगर इन्सान की पहचान करनी हो।**तो सूरत से नही, चरित्र से करो।* *...क्योकि...**सोना अक्सर लोहे की तिजोरी में ही रखा जाता है।**🙏🏻🌸{{ सुप्रभात }} 🌸🙏🏻*

जय बिहारीजी की...by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब..वृन्दावन में एक बिहारी जी का परम् भक्त था, पेशे से वह एक दूकानदार था । वह रोज प्रातः बिहारी जी के मंदिर जाता था और फिर गो सेवा में समय देता और गरीब, बीमार और असहाय लोगों के उपचार, भोजन और दवा का प्रबन्ध करता ।वह बिहारी जी के मंदिर जाता न तो कोई दीपकजलाता न कोई माला न फूल न कोई प्रसाद। उसे अपने पिता की कही एक बात जो उसने बचपन से अपनेपिता से ग्रहण करी थी और जीवन मन्त्र बना ली । उसके पिता ने कहा था बिहारी जी की सेवा तो भाव से होती है। जो उनके हर जीव की, पशु पक्षियों की सेवा करता है वह उन्हें प्रिय है। देखो उन्होंने भी तो गौ सेवा की थी । लेकिन एक बात थी मंदिर में बिहारी जी की जगह उसे एक ज्योति दिखाई देती थी, जबकि मंदिर में बाकी के सभी भक्त कहते वाह ! आज बिहारी जी का श्रंगार कितना अच्छा है, बिहारी जी का मुकुट ऐसा, उनकी पोशाक ऐसी,तो वह भक्त सोचता… बिहारी जी सबको दर्शन देते है, पर मुझे क्यों केवल एक ज्योति दिखायी देती है ।हर दिन ऐसा होता । एक दिन बिहारी जी से बोला ऐसी क्या बात है की आप सबको तो दर्शन देते है परमुझे दिखायी नहीं देते । कल आपको मुझे दर्शन देना ही पड़ेगा । अगले दिन मंदिर गया फिर बिहारी जी उसे ज्योत के रूप में दिखे ।वह बोला बिहारी जी अगर कल मुझे आपने दर्शन नहीं दिये तो में यमुना जी में डूबकर मर जाँऊगा । उसी रात में बिहारी जी एक कोड़ी के सपने में आये जो कि मंदिर के रास्ते में बैठा रहता था, और बोले तुम्हे अपना कोड़ ठीक करना है वह कोड़ी बोला-हाँ भगवान, बिहारिजी बोले – तो कल यहाँ से मेरा एक भक्त निकलेगा तुम उसके चरण पकड़ लेना और तब तक मत छोड़ना जब तक वह ये न कह दे कि बिहारी जी तुम्हारा कोड़ ठीक करे । कोड़ी बोला पर प्रभु वहां तो रोज बहुत से भक्त आते हैं मैं उन्हें पहचानुगां कैसे ?भगवान ने कहा जिसके पैरों से तुम्हे प्रकाश निकलता दिखायी दे वही मेरा वह भक्त है अगले दिन वह कोड़ी रास्ते में बैठ गया जैसे ही वह भक्त निकला उसने चरण पकड़ लिए और बोला पहले आप कहो कि मेरा कोड़ ठीक हो जाये । वह भक्त बोला मेरे कहने से क्या होगा आप मेरे पैर छोड दीजिये, कोड़ी बोला जब तक आप ये नहीं कह देते की बिहारी जी तुम्हारा कोड़ ठीक करे तब तकमैं आपके चरण नहीं छोडूगा । भक्त वैसे ही चिंता में था, कि बिहारी जी दर्शन नहीं दे रहे, ऊपर से ये कोड़ी पीछे पड़ गया तो वह झुँझलाकर बोला जाओ बिहारी जी तुम्हारा कोड़ ठीक करे और मंदिर चला गया, मंदिर जाकर क्या देखता है बिहारीजी के दर्शन हो रहे हैं,बिहारीजी से पूछने लगा अब तक आप मुझेदर्शन क्यों नहीं दे रहे थे, तो बिहारीजी बोले: तुममेरे निष्काम भक्त हो आज तक तुमने मुझसे कभीकुछ नहीं माँगा इसलिए में क्या मुँह लेकर तुम्हे दर्शन देता, यहाँ सभी भक्त कुछ न कुछ माँगते रहते हैइसलिए में उनसे नज़रे मिला सकता हूँ, पर आजतुमने रास्ते में उस कोड़ी से कहा-कि बिहारी जीतुम्हारा कोड़ ठीक कर दे इसलिए में तुम्हे दर्शनदेने आ गया ।भक्तों भगवान की निष्काम भक्ति ही करनी चाहिये, भगवान की भक्ति करके यदि संसार के ही भोग,सुख ही माँगे तो फिर वह भक्ति नहीं वह तो सोदेबाजी है…!!! और यह कथा जो कहना चाहती हैं सबसे बड़ी परमात्म सेवा उनकी है जो वास्तव में बेबस और लाचार है । असहाय और दुखीयों की निस्वार्थ सेवा इस जगत की सबसे बड़ी सेवा हैराधे राधे

जय बिहारीजी की..... वृन्दावन में एक बिहारी जी का परम् भक्त था, पेशे से वह एक दूकानदार था ।  वह रोज प्रातः बिहारी जी के मंदिर जाता था और फिर गो सेवा में समय देता और गरीब, बीमार और असहाय लोगों के उपचार, भोजन और दवा का प्रबन्ध करता । वह बिहारी जी के मंदिर जाता न तो कोई दीपक जलाता न कोई माला न फूल न कोई प्रसाद। उसे अपने पिता की कही एक बात जो उसने बचपन से अपनेपिता से ग्रहण करी थी और जीवन मन्त्र बना ली ।  उसके पिता ने कहा था बिहारी जी की सेवा तो भाव से होती है। जो उनके हर जीव की, पशु पक्षियों की सेवा करता है वह उन्हें प्रिय है। देखो उन्होंने भी तो गौ सेवा की थी ।  लेकिन एक बात थी मंदिर में बिहारी जी की जगह उसे एक ज्योति दिखाई देती थी, जबकि मंदिर में बाकी के सभी भक्त कहते वाह ! आज बिहारी जी का श्रंगार कितना अच्छा है, बिहारी जी का मुकुट ऐसा, उनकी पोशाक ऐसी, तो वह भक्त सोचता…  बिहारी जी सबको दर्शन देते है, पर मुझे क्यों केवल एक ज्योति दिखायी देती है । हर दिन ऐसा होता ।  एक दिन बिहारी जी से बोला ऐसी क्या बात है की आप सबको तो दर्शन देते है पर मुझे दिखायी नहीं देते । कल आपक...

।।श्रीसीताराम।।🌷 *भीष्म पंचक व्रत* 🌷➡ *26नवम्बर 2020 से 30 नवम्बर 2020 तक भीष्म पंचक व्रत है ।*🙏🏻 *कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत 'भीष्म-पंचक व्रत' कहलाता है l जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है l यह महापुण्य-मय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है l*🙏🏻 *कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल कि याचना कि थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी कि धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए l इसलिए इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि 'आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l'*🌷 *कौन यह व्रत करें* 🌷👉🏻 *निःसंतान व्यक्ति पत्नीसहित इस प्रकार का व्रत करें तो उसे संतान कि प्राप्ति होती है l*👉🏻 *जो अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वैकुण्ठ चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें यह व्रत करने कि सलाह दी गयी है l*👉🏻 *जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है l*🌷 *वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च l**अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ll**वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च l**अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ll*🙏🏻 *'जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीश्म्वार्मा को मैं यह जल देता हूँ l वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ l ( स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक महात्मय )*🌷 *व्रत करने कि विधि* 🌷*इस व्रत का प्रथम दिन देवउठी एकादशी है l इस दिन भगवान् नारायण जागते हैं l इस कारण इस दिन निम्न मंत्र का उच्चारण करके भगवान् को जगाना चाहिए :*🌷 *उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज l**उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ll*🙏🏻 *'हे गोविन्द ! उठिए, उठए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये l'*➡ *इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें l कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है ) लें l*➡ *इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व् गोबर-रस का मिश्रण )का सेवन लाभदायी है l पानी में थोडा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है l*➡ *इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए l*➡ *भीष्मजी को अर्घ्य-तर्पण -**इन पांच दिनों निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए :*🌷 *सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने l**भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ll*🙏🏻 *'आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देती हूँ l'वनिता कासनियां पंजाब*🙏🏻 *🌺🌸🌹🍁🙏