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Showing posts from November, 2020

।।श्रीसीताराम।।🌷 *भीष्म पंचक व्रत* 🌷➡ *26नवम्बर 2020 से 30 नवम्बर 2020 तक भीष्म पंचक व्रत है ।*🙏🏻 *कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत 'भीष्म-पंचक व्रत' कहलाता है l जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है l यह महापुण्य-मय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है l*🙏🏻 *कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल कि याचना कि थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी कि धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए l इसलिए इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि 'आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l'*🌷 *कौन यह व्रत करें* 🌷👉🏻 *निःसंतान व्यक्ति पत्नीसहित इस प्रकार का व्रत करें तो उसे संतान कि प्राप्ति होती है l*👉🏻 *जो अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वैकुण्ठ चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें यह व्रत करने कि सलाह दी गयी है l*👉🏻 *जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है l*🌷 *वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च l**अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ll**वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च l**अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ll*🙏🏻 *'जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीश्म्वार्मा को मैं यह जल देता हूँ l वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ l ( स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक महात्मय )*🌷 *व्रत करने कि विधि* 🌷*इस व्रत का प्रथम दिन देवउठी एकादशी है l इस दिन भगवान् नारायण जागते हैं l इस कारण इस दिन निम्न मंत्र का उच्चारण करके भगवान् को जगाना चाहिए :*🌷 *उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज l**उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ll*🙏🏻 *'हे गोविन्द ! उठिए, उठए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये l'*➡ *इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें l कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है ) लें l*➡ *इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व् गोबर-रस का मिश्रण )का सेवन लाभदायी है l पानी में थोडा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है l*➡ *इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए l*➡ *भीष्मजी को अर्घ्य-तर्पण -**इन पांच दिनों निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए :*🌷 *सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने l**भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ll*🙏🏻 *'आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देती हूँ l'वनिता कासनियां पंजाब*🙏🏻 *🌺🌸🌹🍁🙏

🌷 *देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी* 🌷➡ *25 नवम्बर 2020 बुधवार को रात्रि 02:43 से 26 नवम्बर, गुरुवार को प्रातः 05:10 तक एकादशी है ।*💥 *विशेष ~ 25 नवम्बर 2020 बुधवार को देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (स्मार्त) एवं 26 नवम्बर, गुरुवार को देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (भागवत)*🙏🏻 *भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : हे अर्जुन ! मैं तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ । एक बार नारादजी ने ब्रह्माजी से पूछा : ‘हे पिता ! ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत का क्या फल होता है, आप कृपा करके मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बतायें ।’*🙏🏻 *ब्रह्माजी बोले : हे पुत्र ! जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत से मिल जाती है । इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षणभर में नष्ट हो जाते है । हे पुत्र ! जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते हैं, उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है । उनके पितृ विष्णुलोक में जाते हैं । ब्रह्महत्या आदि महान पाप भी ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं ।*🙏🏻 *हे नारद ! मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए । जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतनेवाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है ।*🙏🏻 *इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ (भगवान्नामजप भी परम यज्ञ है। ‘यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि’ । यज्ञों में जपयज्ञ मेरा ही स्वरुप है।’ - श्रीमद्भगवदगीता ) आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है ।*🙏🏻 *इसलिए हे नारद ! तुमको भी विधिपूर्वक विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए । इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए । रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए ।*🙏🏻 *‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अर्ध्य देना चाहिए । इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है ।*🙏🏻 *जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र से, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं । इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात:काल स्नान के पश्चात् भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोड़ना चाहिए ।*🙏🏻 *जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुनः ग्रहण करनी चाहिए । जो मनुष्य ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं ।* 🌞 *~ वनिता कासनियां पंजाब ~* 🌞🙏🏻🌷🍀🌺🌼🌸🌹🌻💐🙏🏻

,। वजन घटाने के लिए ध्यानक्या आप अपना वजन कम करना चाहते हैं? वजन कम करने के लिए रोजाना व्यायाम या जिम जाते हैं लेकिन आपका वजन कम नहीं हो पा रहा है क्योंकि आपको खाना देखकर मुंह में पानी आ ही जाता है? ऐसे में आप अपना वजन कैसे कम कर सकते हैं यह चिंता आपको हमेशा सताती रहती होगी। लेकिन ध्यान यानि मेडिटेशन के जरिए आप अपना वजन कम (Meditation for Weight Loss) कर सकते हैं! अब आप सोच रहे होंगे कि बिना शारीरिक श्रम के कैलोरी को बर्न कैसे किया जा सकता है, तो आपको बता दें कि ज्यादा खाने की आदत आपके दिमाक का फितूर है। जिसको ध्यान के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल ध्यान आपके अंदर अनुशासन और इच्छाशक्ति विकसित करता है और आपके मन में आने वाले दूषित विचारों को दूर करने में मदद करता है। यह आपको अस्वास्थ्यकर भोजन की लत से उबरने, वजन कम करने और अन्य अवांछित आदतों को पुनर्निर्देशित करने में मदद करता है। वैसे तो प्रत्यक्ष तौर पर मेडिटेशन वजन कम करने में कारगर नहीं है लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर यह वजन घटाने में आपकी मदद करता है।वजन घटाने के लिए ध्यान क्या है?माना कि ध्यान करने में ऊर्जा खर्च नहीं होती है लेकिन ध्यान आपको मानसिक रूप से स्वस्थ्य बनाता है। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि ज्यादा भूख लगने पर आप ज्यादा खाना नहीं खाते हैं बल्कि जब आप तनाव या चिंता में होते हैं तो आप ओवरईटिंग कर लेते हैं। आज के दौर पर वजन घटाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जहां पर आपको मेडिटेशन के जरिए ही वजट घटाने (Meditation for Weight Loss) के बारे में बताया जाता है। अपने वजन को कम करने के लिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन सबसे फायदेमंद साबित होता है। इस ध्यान में आप अपने वर्तमान पर ध्यान देते हैं - आप कहाँ हैं, आप क्या कर रहे हैं, वर्तमान समय में आप कैसा महसूस कर रहे हैं। आप किसी भी चीज को अच्छे या बुरे के रूप में वर्गीकृत करने की कोशिश न करके निर्णय के बिना आप जो कर रहे हैं और महसूस कर रहे हैं, उसका जायजा लेते हैं। वजन घटाने के लिए ध्यान का विज्ञानवैज्ञानिक अध्ययनों ने पाया है कि ध्यान का अभ्यास करने से हमें आराम करने, बेहतर नींद और हमारे स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है। उसी तरह उन्होंने उस भूमिका का मूल्यांकन किया है जिसमें ध्यान वजन घटाने (Meditation for Weight Loss) और कुछ व्यवहारों को प्रभावित कर सकता है जो खराब खाने की आदतों से जुड़े होते हैं। विज्ञान के अनुसार, माइंडफुलनेस ध्यान भावनात्मक भोजन और ओवर ईटिंग की आवृत्ति को कम करने में मदद कर सकता है।कैसे करें वजन घटाने के लिए ध्यान?ध्यान करने से पहले आप यह सुनिश्चित करें कि कौन सा ध्यान करने से आपका वजन कम हो सकता है, क्योंकि ध्यान की कई शैलियां हैं, जो अलग-अलग तरह से शारीरिक और मानसिक प्रभाव डालती हैं। अगर आप बेहतर परिणाम चाहते हैं तो आप किसी योग विशेषज्ञ की सलाह या नीचे दिए गए चरणों का पालन कर सकते हैं।सर्वप्रथम किसी शांत और स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण का चयन करें। आप बैठकर या लेटकर किसी भी स्थित में ध्यान कर सकते हैं।गहरी सांस लें और इस कुछ सेकेंड्स के लिए रोककर रखें।अब धीरे-धीरे श्वास को छोड़े और इस प्रक्रिया को पुन: दोहराएं। इसके बाद श्वास की आवाजाही पर ध्यान केंद्रित करें और अनुभव करें कि कैसे सांस आपके फेफड़ों में भर रही है फिर कैसे पेट को फुलाती है और गले जरिए बाहर निकल जाती है।5 से 10 मिनट तक अपनी श्वास लेने और छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करते रहें।यदि ध्यान के दौरान आपका मन भटकने लगता है तो उसे पुन: श्वास की आवाजाही पर केंद्रित करें।अब धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और आसपास के वातावरण की सजगता को महसूस करें। ध्यान दें कि अभी आपका शरीर कैसा महसूस कर रहा है। वजन घटाने के लिए ध्यान लाभध्यान कोई जादू नहीं है जो आपका रातोंरात वजन घटाने में मदद करेगा। इसके लिए आपको नियमित अभ्यास करने की जरूरत है जो ना केवल आपके वजन को कम करने बल्कि आपकी भावनाओं पर भी स्थायी प्रभाव डाल सकता है।माइंडफुलनेस विधि प्रभावी रूप से वजन घटाने और खाने की आदतों को बदलने में मदद करती है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन के नियमित अभ्यास से दिनभर एनर्जी बनी रहती है और आप काफी एक्टिव रहते हैं। भावनात्मक और तनाव संबंधी खान-पान को कम करने में माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी विशेष रूप से प्रभावी है। आप अपने विचारों और भावनाओं से अवगत हो जाते हैं। जब आप तनाव में होते हैं, तो आप पहचान सकते हैं कि आपको भूख लगने पर क्या करना चाहिए।जैसा कि हम जानते हैं कि ध्यान एक तनाव कम करने की तकनीक है, यह आपके मन और मस्तिष्क को मजबूत बनाता है और आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करता है। मोटापा कम करने के लिए ध्यान से वजन घटाने (Meditation for Weight Loss) की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी। तो कोशिश कर के देखों! भारत के शीर्ष ज्योतिषियों से ऑनलाइन परामर्श करने के लिए यहां क्लिक करें!अन्य ध्यानविपश्यना ध्यानप्रात:काल ध्यानबौद्ध मेडिटेशनचक्र ध्यानयोग ध्यानमंत्र ध्यानमेटा ध्यानकुंडलिनी ध्यानवैदिक ध्यानयोग निद्राभावातीत ध्यानक्रिया योग ध्यानशांभवी महामुद्राकैसे करें ध्यान की शुरुआतहीलिंग राजयोग मेडिटेशनतनाव मुक्ति के लिए ध्यानअच्छी नींद के लिए करें ध्यानमाइंडफुलनेस मेडिटेशनविश्राम के लिए ध्यानशांति के लिए ध्यानवॉकिंग मेडिटेशनवजन घटाने के लिए ध्यानबच्चों को कैसे करवाएं वनिता पंजाब 2020 – गोपाष्टमी 2020 तिथि मुहूर्त व व्रत कथागोपाष्टमी 2020 तिथि मुहूर्त व व्रत कथादेवोत्थान एकादशी 2020 - देवोत्थान एकादशी व्रत पूजा विधि व मुहूर्तदेवोत्थान एकादशी 2020 - देवोत्थान एकादशी व्रत पूजा विधि व मुहूर्त

बच्चों को कैसे करवाएं ध्यान Vnita Kasnia Punjab 🌹🌹🙏🙏🌹🌹🐇यदि हम कम उम्र से ही ध्यान साधना करने में सक्षम हो, तो दुनिया कैसी दिखेगी? यहाँ हमें अपने बच्चों को एक नियमित ध्यान (Meditation for Kids) अभ्यास में ढालने की आवश्यकता है। बच्चा ध्यान जैसी श्रमसाध्य प्रथाओं के बजाय, ध्यान के माध्यम से वर्तमान क्षण में रहते हुए अपने समग्र विकास को प्राप्त करता है। यानी की उसका शारीरिक व मानसिक विकास। इस लेख में हम आपको आपके संतान के लिए ध्यान बताने जा रहे जिसका अभ्यास करना बेहद लाभकारी होगा।बच्चों के लिए ध्यान क्या है?एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें बच्चा ध्यान लगाता है और अपने मन व मस्तिष्क को साधने का प्रयास करता है। यह क्रिया सांस को साधने की है। बच्चों के लिए ध्यान (Meditation for Kids) उनके समग्र विकास का एक मार्ग है। जिस पर चलकर वे अपने आप को एक नये स्वरूप व व्यक्तित्व में ढालते हैं।ध्यान कैसे करेंहम चाहते हैं कि बच्चे स्वस्थ और खुश रहें, न केवल अब बल्कि उनके जीवन के लिए भी और उन्हें ध्यान के बारे में जल्दी सिखाने से उन्हें ऐसा करने में मदद मिलेगी। इसीलिए हमने यहां कुछ सरल क्रिया बताने जा रहे हैं जिसका अनुसरण कर आप अपने बच्चों से इसका पालन करवा सकते हैं।बच्चे स्वाभाविक रूप से माइंडफुलनेस का अभ्यास करते हैं - ध्यान का एक प्रमुख घटक - क्योंकि उनके पास कम मानसिक बाधाएं, पूर्वाग्रह और पूर्व-निर्धारित मान्यताएं हैं जो उन्हें ध्यान की शुद्ध स्थिति का अनुभव करने की अनुमति देती हैं।पहले चरण में आपको पार्क में किसी साफ जगह का चयन कर आप बच्चे के साथ चौकड़ी मारकर बैठ जाएं।दूसरे चरण में बच्चे को आंखे बंद करने का निर्देश दें, साथ ही बच्चे को बताए की वह रिलैक्स होकर कमर सीधी करके बैठे और किसी भी चीज के बारे में कुछ ना सोचे। साथ ही बच्चों को धीरे-धीरे लंबी सांसे लेने के लिए कहें। आप चाहें तो शुरूआत में रिलैक्सेशन म्यूजिक भी लगा सकते हैं ताकि बच्चों का इधर उधर ध्या‍न ना भटके।तीसरे चरण में अब आपको अपने बच्चे को सांस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहना है। ध्यान रहे इसके लिए बच्चा सहज हो व सांस आराम से व समान अनुपात में ले रहा हो।चौथे चरण में आपको इसकी पुनरावृत्ति करवानी है। परंतु इसके लिए आप बच्चे पर किसी भी तरह का दबाव न बनाएं। शुरूआत में हो सकता है वह कम रूचि लें, समय दें इसमें सुधार होगा। पांचवें चरण में आप अपने बच्चे के लिए इस प्रकिया का समय तय करें।ध्यान करने के लाभ हैध्यान करने के कई लाभ हैं परंतु हम यहां हम कुछ लाभ दे रहे हैं। जिनके बारे में जानकर आप इसकी अनिवार्यता को समझ करेंगे। जो इस प्रकार हैं -एकाग्रता को बढ़ाता हैसिर्फ एक या दो पीढ़ी में, चीजें इतनी बदल गई हैं कि हमारा ध्यान नहीं बढ़ सका है। सोशल मीडिया और तकनीकी उपकरणों के बीच, बच्चे - और वयस्क - लगातार इंटरनेट पर सर्फिंग कर रहे हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं और किताब पढ़ने के बजाय घर के अंदर वीडियो गेम खेल रहे हैं। जो बच्चे अपने उपकरणों के साथ बड़े होते हैं, उन्हें अक्सर ध्यान केंद्रित करना और चौकस रहना मुश्किल हो जाता है। ध्यान उन्हें सिखाता है कि एक समय में एक चीज़ पर उनका ध्यान कैसे केंद्रित करना संभव है, और यह वास्तव में यह बहुत जरूरी है कि विचलित न हो। क्योंकि उन्हें अपना समग्र विकास करना है।करुणा और आत्मसम्मान को बढ़ावा देनाअच्छी खबर यह है कि ध्यान बच्चों की सुरक्षा, सहानुभूति और आंतरिक स्थिरता की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है, और यह बदले में, करुणा, आनंद और आत्म-सम्मान का निर्माण करता है। ध्यान बच्चों को सिखाता है कि किस तरह किस महौल में बरताव करना है।आत्मविश्वास को बढ़ाता हैबच्चों के लिए ध्यान (Meditation for Kids) बच्चों को आत्म-जागरूकता हासिल करने और अधिक आत्मविश्वास बनने में मदद करता है। आत्मविश्वास स्वाभाविक रूप से विकसित होता है जब बच्चे अपने ध्यान अभ्यास से सीखते हैं कि उन्हें अपने सभी विचारों और भावनाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करनी है - वे चुन सकते हैं कि कौन से लोग उनके ध्यान और प्रतिक्रिया का गुण रखते हैं। अपरिचित परिस्थितियों से निपटने के लिए आत्मविश्वास से भरपूर बच्चे बेहतर होते हैं।सहानुभूति और खुशी का निर्माणध्यान बच्चों को सीखने में मदद करता है कि वे अपने प्यार को दूसरे बच्चों के साथ कैसे साझा करें। वे अधिक धैर्यवान और समझदार बनते हैं, दूसरों की अधिक तत्परता से सुनते हैं और उनके साथ सहानुभूति रखते हैं। इसके साथ ही उनका व्यक्तित्व भी निखरता है। कुछ मिलाकर ध्यान का बच्चों पर व्यापाक असर पड़ता है।

ਸ਼ਾਂਤੀ ਲਈ ਸਮਾਧੀਕੀ ਤੁਸੀਂ ਅਰਾਮ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤ ਰਹਿਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਰੋਜ਼ਮਰ੍ਹਾ ਦੇ ਮਨਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ? Vnita kasnia Punjab🌹🌹🙏🙏🌹🌹 ਹਾਲਾਂਕਿ ਸਾਡੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਤਣਾਅਪੂਰਨ ਸਥਿਤੀਆਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਥਿਤੀਆਂ ਵਿਚ ਤਣਾਅ ਨਾਲ ਕਿਵੇਂ ਨਜਿੱਠਣਾ ਹੈ ਬਾਰੇ ਵਿਚਾਰ ਅਕਸਰ ਸਾਡੇ ਦਿਮਾਗ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ. ਇਸਦੇ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਰਹਿਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ ਪਰ ਅਕਸਰ ਅਸੀਂ ਤਣਾਅ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਅਸਮਰੱਥ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ. ਇਸ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ. ਖੈਰ, ਇਕ ਤਰੀਕਾ ਹੈ ਸਿਮਰਨ. ਭਿਰਆ ਦਾ ਸਿਮਰਨ ਸਿਮਰਨ ਦੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਟਾਈਲ ਵਿੱਚ ਮਤਲਬ ਹੈ Calm ਲਈ ਸੋਚ-ਵਿਚਾਰ ਕਰੋ , ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਮਨ ਨੂੰ ਠੰਢਾ ਕਰਨ ਲਈ ਹੈ ਭਾਵਨਾਤਮਕ ਚੁਣੌਤੀ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ. ਇਸ ਨਾਲ ਲਾਭਕਾਰੀ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ. ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਕੀ ਹੈ?ਮਨਨ ਇਕ ਤਣਾਅ ਤੋਂ ਨਿਜਾਤ ਦਿਵਾਉਣ ਦਾ ਇਕ ਵਧੀਆ thatੰਗ ਹੈ ਜੋ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਅਰਾਮ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਨੀਂਦ ਲੈਣ, ਕੰਮ ਵਿਚ ਬਿਹਤਰ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਦਿਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਂਤ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੀ ਰੁਟੀਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਜਾਂ ਕਾਰਜਸ਼ੀਲ ਧਿਆਨ ਲਗਾ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਆਪਣੇ ਮਨ ਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਕਰਨ ਲਈ ਧਿਆਨ ਲਗਾਉਣ ਦੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਸਿੱਖਣਾ ਆਸਾਨ ਹੈ. ਮਾਨਸਿਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਤ ਕਰਨ ਲਈ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਦੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ.ਸ਼ਾਂਤੀ ਲਈ ਸਿਮਰਨ ਦਾ ਵਿਗਿਆਨਹਰ ਚੀਜ ਜੋ ਅਸੀਂ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਦਿਮਾਗ ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ. ਉਦਾਹਰਣ ਦੇ ਲਈ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਕੋਈ ਹੁਨਰ ਸਿੱਖਦੇ ਹਾਂ ਜਾਂ ਕੋਈ ਗਤੀਵਿਧੀ ਕਰਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦੇ ਹਾਂ. ਅਤੇ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਦਿਮਾਗ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ, ਇਹ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਆਕਾਰ ਵਿਚ ਇਹ ਤਬਦੀਲੀ ਵਿਗਿਆਨ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਨਿurਰੋਪਲਾਸਟਿਕ ਹੈ.ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅਭਿਆਸ ਤਣਾਅ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਮਨਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ ਦੇ ਖਾਸ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਤਣਾਅ ਦੇ ਜਵਾਬ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ. ਸਾਡੇ ਦਿਮਾਗ ਵਿਚ ਇਕ ਬਦਾਮ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦਾ ਐਮੀਗਡਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਇਸ ਨੂੰ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਡਰ ਅਤੇ ਡਰ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਖੁਦਮੁਖਤਿਆਰੀ ਪ੍ਰਤੀਕਰਮ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹੈ. ਸਿਮਰਨ ਕਰਨ ਦੁਆਰਾ, ਮਨੁੱਖੀ ਅਮੀਗਡਾਲਾ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਵੱਧ ਰਹੀ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਸਮਾਜਿਕ ਸੰਸਾਰ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ.ਠੰਡਾ ਤਕਨੀਕ ਲਈ ਧਿਆਨਸ਼ਾਂਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਡੀਟੇਸ਼ਨ ਦੀਆਂ ਤਕਨੀਕਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਇਹ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਮਨਨ ਵਧੀਆ ਵਿਕਲਪ ਹੈ.ਮੰਤਰ ਸਿਮਰਨਮੰਤਰ ਅਭਿਆਸ ਤਕਨੀਕ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ methodੰਗ ਹੈ. ਮੰਤਰ ਦੇ ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਦੌਰਾਨ, ਤੁਸੀਂ ਮਾਨਸਿਕ ਤੌਰ 'ਤੇ (ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ) ਇੱਕ ਸ਼ਾਂਤ ਸ਼ਬਦ, ਜਾਂ ਮੰਤਰ ਨੂੰ ਦੁਹਰਾਓ. ਮੰਤਰ ਦਾ ਦੁਹਰਾਓ ਸਾਰੇ ਵਿਅਸਤ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਬਦਲ ਦੇਵੇਗਾ ਅਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਾਹਰੀ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ ਅਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਰੂਹਾਨੀ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਲੈ ਜਾਵੇਗਾ, ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਮਨ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਕਰੇਗਾ. ਸ਼ਾਂਤੀ ਲਈ ਮੈਡੀਟੇਸ਼ਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ 'ਓਮ ਮੈਂ ਸ਼ਾਂਤ ਅਤੇ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਹਾਂ' ਵਰਗੇ ਸਕਾਰਾਤਮਕ ਵਾਕਾਂ ਦਾ ਜਾਪ ਕਰਦਿਆਂ ਕੋਈ ਸਕਾਰਾਤਮਕਤਾ ਲਿਆ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਅਭਿਆਸ ਇਕ ਸ਼ਾਂਤ ਮੰਤਰ ਅਭਿਆਸ ਤਕਨੀਕ ਵੀ ਹੈ ਜੋ ਆਰਾਮ ਲਈ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ beੰਗ ਨਾਲ ਵਰਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ.ਤੁਹਾਡੇ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤੀ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਮਨਨ ਕਰਨ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਅਭਿਆਸ ਹੈ. ਮਾਈਂਡਫਲ ਮੈਡੀਟੇਸ਼ਨ ਵਿਚ, ਤੁਸੀਂ ਮੌਜੂਦਾ ਪਲ ਪ੍ਰਤੀ ਆਪਣੀ ਜਾਗਰੂਕਤਾ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦੇ ਹੋ. ਤੁਸੀਂ ਸਿਰਫ ਉਸ ਚੀਜ਼ 'ਤੇ ਧਿਆਨ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਦੇ ਹੋ ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਧਿਆਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ ਉਸੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਸਾਹ ਲੈ ਰਹੇ ਹੋ ਜਾਂ ਆਪਣੇ ਪੈਰ ਫਰਸ਼ ਨੂੰ ਛੂਹ ਰਹੇ ਹੋ, ਅਤੇ ਇਸ ਲਈ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਭਟਕਣ ਤੋਂ ਰੋਕੋ. ਤੁਸੀਂ ਕਦੇ ਵੀ ਅਤੇ ਕਿਤੇ ਵੀ ਧਿਆਨ ਭਰੇ ਮਨਨ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕਈ ਵੱਖੋ ਵੱਖਰੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਰੁੱਝੇ ਹੋਏ ਹੋ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਲਾਂਡਰੀ ਜਾਂ ਸੈਰ.ਵਿਜ਼ੂਅਲਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨਵਿਜ਼ੂਅਲਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨ ਇਕ ਧਿਆਨ ਕਰਨ ਦੀ ਤਕਨੀਕ ਹੈ ਜੋ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਤੁਹਾਡੇ ਤਣਾਅ ਨੂੰ ਘਟਾ ਸਕਦੀ ਹੈ. ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਦੇ ਨਾਲ, ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਵਾਰ ਵਾਰ ਕਿਸੇ ਵਿਚਾਰ 'ਤੇ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਦੇ ਹੋ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਸਕਾਰਾਤਮਕ energyਰਜਾ ਦਿੰਦੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਇਹ ਇਕ ਹਕੀਕਤ ਬਣ ਜਾਵੇਗਾ. ਤੁਸੀਂ ਇਹ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰਾਂ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ, ਤੁਹਾਡੀ ਨੌਕਰੀ, ਘਰ ਅਤੇ ਸਿਹਤ ਸਮੇਤ. ਤੁਹਾਨੂੰ ਬੱਸ ਉਹ ਸਭ ਕੁਝ ਕਰਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ ਜੋ ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਿਮਾਰ ਬਣਾ ਰਹੇ ਹਨ, ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸਿਹਤਮੰਦ, ਸ਼ਾਂਤ ਅਤੇ ਤਣਾਅ ਮੁਕਤ ਹੋਣ ਦੀ ਕਲਪਨਾ ਕਰੋ, ਅਤੇ ਇਹ ਆਖਰਕਾਰ ਹਕੀਕਤ ਬਣ ਜਾਵੇਗਾ. ਅਕਸਰ ਐਥਲੀਟ ਅਭਿਆਸਕ ਦਰਸ਼ਨੀ ਅਭਿਆਸ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕਰਦੇ ਹਨ.ਪ੍ਰਗਤੀਸ਼ੀਲ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀ ਵਿਚ ਿੱਲਇਸ ਸਧਾਰਣ ਮਨਨ ਤਕਨੀਕ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸ਼ਾਂਤ ਲਾਭ ਹਨ. ਇਹ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ theੰਗ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀ ਸਮੂਹਾਂ ਨੂੰ ਆਰਾਮ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਅਭਿਆਸ ਅਭਿਆਸ ਵਿਚ, ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ ਵੱਖ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਨੂੰ ingਿੱਲ ਦੇ ਕੇ ਤਣਾਅ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦਿੰਦੇ ਹੋ, ਜਾਂ ਤਾਂ ਆਪਣੇ ਪੈਰਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਅਤੇ ਉਪਰ ਵੱਲ ਵਧੋ, ਜਾਂ ਆਪਣੇ ਸਿਰ ਦੇ ਸਿਖਰ ਤੇ ਅਤੇ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਵਧੋ. ਤੁਸੀਂ ਹਰੇਕ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀ ਸਮੂਹ ਨੂੰ ਪੰਜ ਜਾਂ 10 ਸਕਿੰਟ ਲਈ ਖਿੱਚੋ ਅਤੇ ਫਿਰ ਛੱਡੋ. ਤੁਸੀਂ ਅਰਾਮਦੇਹ ਆਸਣ ਵਿਚ ਬੈਠਦੇ ਹੋ ਜਾਂ ਅਭਿਆਸ ਲਈ ਅਰਾਮਦਾਇਕ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਲੇਟ ਜਾਂਦੇ ਹੋ ਅਤੇ ਇਸ ਸ਼ਾਂਤ ਅਭਿਆਸ ਕਰਦਿਆਂ ਆਪਣੇ ਸਾਹ 'ਤੇ ਧਿਆਨ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਦੇ ਹੋ.ਸ਼ਾਂਤ ਹੋਣ ਲਈ ਅਭਿਆਸ ਕਿਵੇਂ ਕਰੀਏ?ਹਾਲਾਂਕਿ ਉਪਰੋਕਤ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਤਕਨੀਕਾਂ ਦਾ varyੰਗ ਵੱਖਰਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਾਂ ਅਸੀਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ 2 ਮਿੰਟਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤ ਕਰਨ ਲਈ ਇਕ ਜਲਦੀ ਧਿਆਨ ਦਾ ਤਰੀਕਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ. ਤੁਸੀਂ ਸ਼ਾਂਤ ਤਜਰਬਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਬਿਹਤਰ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਈ ਇਕ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਯੋਗਾ ਮਾਹਰ ਕੋਲ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹੋ.ਪਹਿਲਾਂ ਦੋ ਡੂੰਘੀਆਂ ਸਾਹ ਲਓ. ਨੱਕ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਲੈਣਾ ਅਤੇ ਮੂੰਹ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਲੈਣਾ. ਫਿਰ ਆਪਣੀ ਨੱਕ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਨੂੰ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਲਿਆਓ. ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਸਾਹ ਦੀ ਗਤੀ 'ਤੇ ਧਿਆਨ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰੋ ਅਤੇ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰੋ ਕਿ ਸਾਹ ਤੁਹਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਕਿਵੇਂ ਭਰ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਫਿਰ ਪੇਟ ਕਿਵੇਂ ਫੁੱਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਗਲ਼ੇ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ.ਘੱਟੋ ਘੱਟ 8 ਤੋਂ 10 ਵਾਰ ਸਾਹ ਲੈਣ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ 'ਤੇ ਧਿਆਨ ਕੇਂਦਰਤ ਕਰੋ ਅਤੇ ਧਿਆਨ ਦਿਓ ਕਿ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦੇ ਹੋ.ਸ਼ਾਂਤੀ ਲਈ ਮੈਡੀਟੇਸ਼ਨ ਦੇ ਲਾਭਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਕਰਨ ਦਾ ਨਿਯਮਿਤ ਅਭਿਆਸ ਕਰਨ ਨਾਲ ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਦੋਵੇਂ ਲਾਭ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹਨ:ਇਹ ਅਭਿਆਸ ਅਭਿਆਸ ਹਾਈ ਬਲੱਡ ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ.ਕਿਸੇ ਵੀ ਤਣਾਅ, ਸਿਰ ਦਰਦ, ਫੋੜੇ, ਇਨਸੌਮਨੀਆ, ਮਾਸਪੇਸ਼ੀ ਅਤੇ ਜੋੜਾਂ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ.ਸੇਰੋਟੋਨਿਨ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਮੂਡ ਅਤੇ ਵਿਵਹਾਰ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ ਕਰਦਾ ਹੈ.ਇਮਿ .ਨ ਸਿਸਟਮ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਦਾ ਹੈ.Energyਰਜਾ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਤੁਸੀਂ internalਰਜਾ ਦਾ ਅੰਦਰੂਨੀ ਸਰੋਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹੋ.ਸ਼ਾਂਤ ਮਨਨ ਭਾਵਨਾਤਮਕ ਸਥਿਰਤਾ ਨੂੰ ਸੁਧਾਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰਚਨਾਤਮਕਤਾ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦਾ ਹੈ.ਮਨਨ ਤਿੱਖੀ ਮਨ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇੱਕ ਫੈਲੀ ਚੇਤਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ.ਮਨਨ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸੁਚੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੁਹਾਡਾ ਅੰਦਰੂਨੀ ਨਜ਼ਰੀਆ ਤੁਹਾਡੀ ਖੁਸ਼ੀ ਨੂੰ ਨਿਰਧਾਰਤ ਕਰਦਾ ਹੈ.

ਚਲਦੇ ਸਿਮਰਨਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਤੁਸੀਂ ਹੁਣ ਤੱਕ ਜੋ ਵੀ ਧਿਆਨ ਤੁਸੀਂ ਸੁਣਿਆ ਹੈ ਉਹ ਸਾਰੇ ਬੈਠ ਕੇ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਅੱਜ ਦੀ ਭੱਜ-ਦੌੜ ਭਰੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ, ਜਿਸ ਕੋਲ ਮਨਨ ਕਰਨ ਦਾ ਸਮਾਂ ਹੈ. ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ, ਅਸੀਂ ਤੁਹਾਡੇ ਲਈ ਸੈਰ ਲਈ ਅਭਿਆਸ ਲਿਆਏ ਹਾਂ . ਇਹ ਅਭਿਆਸ ਬੈਠਣ ਦੇ ਅਭਿਆਸ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਵੱਖਰਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਲਈ ਇਕ ਵਧੀਆ ਵਿਕਲਪ ਹੈ ਜਿਸ ਕੋਲ ਇਕ ਜਗ੍ਹਾ ਤੇ ਬੈਠਣ ਅਤੇ ਅਭਿਆਸ ਕਰਨ ਲਈ ਸਮਾਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ. ਦਿਮਾਗ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ ਲਈ rateਰਜਾ ਨੂੰ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਸੰਚਾਰਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਅਭਿਆਸ ਕਰਨਾ ਤੁਰਨਾ ਇਕ ਬਿਹਤਰ ਵਿਕਲਪ ਹੈ. ਤੁਸੀਂ ਇਹ ਅਭਿਆਸ ਤੁਰਨ ਵੇਲੇ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਖਾਸ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਨੂੰ ਤੁਰਨ ਨਾਲੋਂ ਹੌਲੀ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਤੁਰਨ ਵੇਲੇ ਅੱਖਾਂ ਖੁੱਲ੍ਹੀਆਂ ਅਤੇ ਜਾਗਰੂਕ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ. ਕੀ ਚੱਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ਮਨਨਇਕ ਕਿਸਮ ਦਾ ਧਿਆਨ ਅਭਿਆਸ ਚਲਣਾ ਹੈ. ਇਸਦਾ ਮੁੱ Buddh ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਹੈ। ਇਸ ਅਭਿਆਸ ਵਿਚ ਚੱਲਣ ਨਾਲੋਂ ਰਫਤਾਰ ਬਹੁਤ ਹੌਲੀ ਹੈ. ਇਸ ਵਿਚ, ਪੂਰਾ ਧਿਆਨ ਤੁਰਨ 'ਤੇ ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਨੂੰ ਹਰ ਪਲ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੁਰਨ ਵਾਲੇ ਸਿਮਰਨ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਕਿਸੇ ਮੰਜ਼ਿਲ ਤੇ ਪਹੁੰਚਣਾ ਨਹੀਂ, ਬਲਕਿ ਸਾਹ ਨਾਲ ਤਾਲਮੇਲ ਬਣਾ ਕੇ ਚੱਲਣਾ ਹੈ. ਇਸ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਅੱਖਾਂ ਖੁੱਲੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਹਰ ਕਦਮ 'ਤੇ ਧਿਆਨ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਤੁਹਾਡੀ ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਇਸ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਲਾਭ ਹੁੰਦਾ ਹੈ.ਪੈਦਲ ਅਭਿਆਸ ਕਿਵੇਂ ਕਰੀਏਜੇ ਤੁਸੀਂ ਪੈਦਲ ਅਭਿਆਸ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਜਾ ਰਹੇ ਹੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਰੁਕਾਵਟ ਦੇ ਕਿਸੇ ਪਾਰਕ ਜਾਂ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਜਗ੍ਹਾ ਤੇ 20 ਮਿੰਟ ਲਈ ਤੁਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਤੁਸੀਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਸਦਾ ਅਭਿਆਸ ਘਰ ਵਿਚ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਇਸ ਅਭਿਆਸ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ, ਕੋਈ ਪਹਿਲਾਂ ਇੱਕ ਚੱਕਰ ਜਾਂ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਜਾਂ ਇੱਕ ਭੁੱਲਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਪੈਦਲ ਚੱਲਣ , ਚੱਲਣ, ਜ਼ਮੀਨ 'ਤੇ ਰੱਖਣਾ ਅਤੇ ਪੈਰ' ਤੇ ਜ਼ਮੀਨ ਦੀ ਛੋਹ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨ ਵਰਗੇ ਕਦਮਾਂ ਬਾਰੇ ਸੁਚੇਤ ਹੋਣ ਲਈ ਪੈਦਲ ਚੱਲਣ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਕਦਮ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰੋ.ਇਸ ਸਮਾਧੀ ਦੇ ਦੌਰਾਨ, ਹੌਲੀ ਰਫਤਾਰ ਨਾਲ ਚੱਲੋ. ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਦੌਰਾਨ, ਤੁਸੀਂ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਖਾਲੀ ਛੱਡ ਸਕਦੇ ਹੋ, ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਤੁਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ਜਾਂ ਅੱਗੇ ਜਾ ਕੇ ਲਹਿ ਸਕਦੇ ਹੋ.ਕਦਮ ਤੁਰਨ ਦੇ ਅਭਿਆਸ ਦੌਰਾਨ ਸਾਹ ਨਾਲ ਤਾਲਮੇਲ ਕਰਦੇ ਹਨ. ਤੁਰਦੇ ਸਮੇਂ ਤੁਸੀਂ ਇੱਕ ਮੰਤਰ ਦਾ ਜਾਪ ਵੀ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਅਭਿਆਸ ਦਾ ਅਭਿਆਸ ਕਰਦੇ ਹੋ, ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਹ ਲਓ ਅਤੇ ਫਿਰ ਇਕ ਕਦਮ ਚੁੱਕੋ, ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਸਾਹ ਛੱਡੋਗੇ, ਕਦਮ ਚੁੱਕੋ. ਇਸ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਹਰ ਇੱਕ ਸਾਹ ਲਈ ਕਦਮਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ. ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਚੱਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਜ਼ਰੂਰ ਪੀਓ.ਤੁਰਦੇ ਸਮੇਂ ਚੇਤੰਨ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਕੇਂਦ੍ਰਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰੋ. ਜੇ ਤੁਹਾਡਾ ਮਨ ਭਟਕਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦੇਵੇ, ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਹੋਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਾਪਸ ਕਰ ਦਿਓ.ਪੈਦਲ ਧਿਆਨ ਦੇ ਲਾਭਜੇ ਤੁਸੀਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਕਰਨ ਲਈ ਅਭਿਆਸ ਕਰਦੇ ਹੋ ਤਾਂ ਇਕਾਗਰਤਾ ਵਿਚ ਸੁਧਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਸਿਹਤ ਲਈ ਵੀ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਇੱਥੇ ਕੁਝ ਚੱਲਣ ਦੇ ਧਿਆਨ ਲਾਭ ਹਨ.ਸੈਰ ਕਰਨ ਨਾਲ ਪੈਰਾਂ ਦਾ ਲਹੂ ਸੰਚਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਬਿਹਤਰ ਹੈ ਜੋ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣ ਜਾਂ ਬੈਠਣ ਜਾਂ ਸੁਸਤ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨ.ਇਹ ਸਾਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਣ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਡੂੰਘਾਈ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਸਾਨੂੰ ਪੈਰਾਂ ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਧਰਤੀ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਸਾਨੂੰ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਵਗ ਰਹੀ ਹਵਾ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ. ਰਾਤ ਦੇ ਖਾਣੇ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮਨਨ ਕਰਨਾ ਤੁਰਨਾ ਪਾਚਨ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਇਕ ਵਧੀਆ isੰਗ ਹੈ, ਖ਼ਾਸਕਰ ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਭਾਰੀ ਜਾਂ ਭਰੇ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ. ਇਹ ਤੁਹਾਡੇ ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੁਆਰਾ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਲਿਜਾਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਬਜ਼ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਵੀ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ.ਇਹ ਚਿੰਤਾ ਘਟਾਉਣ ਵਿਚ ਵੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਹ ਗਠੀਆ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਤਾਕਤ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ.ਚੱਲਣਾ ਮਨਨ ਸ਼ਾਂਤ ਵਾਤਾਵਰਣ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਤੁਸੀਂ ਮੌਸਮ, ਪੰਛੀਆਂ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਣ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਵਾਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹੋ. ਚੇਤੰਨ ਅਵਸਥਾ ਤੁਹਾਡੇ ਅੰਦਰ ਜਾਗਦੀ ਹੈ.ਖੋਜ ਨੇ ਦਿਖਾਇਆ ਹੈ ਕਿ 12 ਮਿੰਟਾਂ ਲਈ 3 ਹਫ਼ਤੇ ਵਿਚ 3 ਮਿੰਟ ਮਨਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਟਾਈਪ 3 ਸ਼ੂਗਰ ਰੋਗ ਵਿਚ ਸੁਧਾਰ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ.ਸਾਲ 2015 ਵਿੱਚ ਇਹ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਕਿ ਇਹ ਮਨਨ ਤੁਹਾਡੀ ਨੀਂਦ ਦੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਵਿੱਚ ਵੀ ਸੁਧਾਰ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਸੈਰ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ, ਤੁਹਾਡੀਆਂ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਮਜ਼ਬੂਤ ​​ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ.Vnita kasnia Punjab🌹🌹🙏🙏🌹🌹🇮🇳

रोजाना अलसी खाने के ये 10 फायदे, आपको हैरान कर देंगे By *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*🌹🌹🙏🙏🌹🌹🇮🇳 क्या आपको हार्ट प्रॉब्लम्स हैं...? क्या आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है....? यह क्या आपका वजन बढ़ रहा है ? यदि आपका जवाब हां में है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। अलसी में छुपा हुआ है, आपकी इन समस्याओं का समाधान। जी हां, अलसी के छोटे- छोटे बीजों में आपकी सेहत के बड़े-बड़े राज छुपे हुए हैं। अगर आप नहीं जानते, तो जरूर पढ़ि‍ए और जानिए अलसी के यह बेहतरीन फायदे - 1 भूरे-काले रंग के यह छोटे छोटे बीज, हृदय रोगों से आपकी रक्षा करते हैं। इसमें उपस्थित घुलनशील फाइबर्स, प्राकृतिक रूप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इससे हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल घटने लगता है, और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, नतीजतन हार्ट अटैक की संभावना नहीं के बराबर होती है ।2 अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो रक्त प्रवाह को बेहतर कर, खून के जमने या थक्का बनने से रोकता है, जो हार्ट-अटैक का कारण बनता है। यह रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक है। 3 यह शरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम करती है, जिसे आपका वजन कम होने में सहायता मिलती है। 4 अलसी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स, बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करती है, जिससे त्वचा पर झुर्रियां नहीं होती और कसाव बना रहता है। इससे त्वचा स्वस्थ व चमकदार बनती है। 5 अलसी में अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है, जो ऑथ्राईटिस, अस्थमा, डाइबिटीज और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। खास तौर से कोलोन कैंसर से लड़ने में यह सहायक होता है। 6 सीमित मात्रा में अलसी का सेवन, खून में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। इससे शरीर के आंतरिक भाग स्वस्थ रहते हैं, और बेहतर कार्य करते हैं। 7 इसमें उपस्थित लाइगन नामक तत्व, आंतों में सक्रिय होकर, ऐसे तत्व का निर्माण करता है, जो फीमेल हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 8 अलसी के तेल की मालिश से शरीर के अंग स्वस्थ होते हैं, और बेहतर तरीके से कार्य करते हैं। इस तेल की मसाज से चेहरे की त्वचा कांतिमय हो जाती है। 9 शाकाहारी लोगों के लिए अलसी, ओमेगा-3 का बेहतर विकल्प है, क्योंकि अब तक मछली को ओमेगा-3 का अच्छा स्त्रोत माना जाता था,जिसका सेवन नॉन-वेजिटेरियन लोग ही कर पाते हैं। 10 प्रतिदिन सुबह शाम एक चम्मच अलसी का सेवन आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में सहायक होता है, इसे पीसकर पानी के साथ भी लिया जा सकता है । अलसी को नियमित दिनचर्या में शामिल कर आप कई तरह की बीमारियों से अपनी रक्षा कर सकते हैं, साथ ही आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

 

GST के नाम पर किसी ने आपसे वसूले ज्यादा पैसे, तो यहां करें शिकायत GST complaint helpline number अगर कोई भी दुकानदार, कंपनी या कारोबारी आपसे जीएसटी के नाम पर ज्यादा पैसे ले रहा है तो अब आप इसकी शिकायत सीधे सरकार को कर सकते हैं। सरकार की नेशनल एंटी प्रॉफियटरिंग अथॉरिटी (एनएए) ने हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की है, जहां कन्ज्यूमर ऐसे मामलों की शिकायत कर सकते हैं। ऐसे मामलों पर सरकार तुरंत कार्रवाई करेगी। *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*🌷🙏🙏🌷 नई दिल्ली.अगर कोई भी दुकानदार, कंपनी या कारोबारी आपसे जीएसटी के नाम पर ज्यादा पैसे ले रहा है तो अब आप इसकी शिकायत सीधे सरकार को कर सकते हैं। सरकार की नेशनल एंटी प्रॉफियटरिंग अथॉरिटी (एनएए) ने हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत कर दी है, जहां कंज्यूमर ऐसे मामलों की शिकायत कर सकते हैं। ऐसे मामलों पर सरकार तुरंत कार्रवाई करेगी। कंज्यूमर कर सकता है शिकायत आपको जीएसटी रेट कट का बेनेफिट नहींं दे रहा है तो आप इसकी शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर कर सकते हैं। सरकार ने जीएसटी के तहत की प्रोडक्ट पर टैक्स रेट कम किए हैं और कंपनियों को कीमतें नए टैक्स स्ट्रक्चर के तहत कीमतें कम करने के लिए कहा है। अगर कंज्यूमर को लगता है कि कंपनियों या दुकानदार ने दाम नहीं घटाए हैं तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं। ये हेल्पलाइन नंबर एनएए ने नया हेल्पलाइन नंबर *1800-103-4786+1800-1200-232* ਹੈजारी किया है। यहां कन्ज्यूमर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इन नंबर पर फोन करके आप जीएसटी को लेकर कोई भी जानकारी ले सकते हैं। अपनी शिकायत का समाधान भी हेल्पलाइन पर फोन करके निकाल सकते हैं।

*कहानी* *🌻भगवान् की कृपा🌻* वनीता *एक राजा था। उसका मन्त्री भगवान का भक्त था। कोई भी बात होती तो वह यही कहता कि भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! एक दिन राजा के बेटे की मृत्यु हो गयी। मृत्यु का समाचार सुनते ही मन्त्री बोल उठा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! यह बात राजा को बुरी तो लगी, पर वह चुप रहा।* *कुछ दिनों के बाद राजा की पत्नी की भी मृत्यु हो गयी। मन्त्रीने कहा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! राजा को गुस्सा आया, पर उसने गुस्सा पी लिया, कुछ बोला नहीं।* *एक दिन राजाके पास एक नयी तलवार बनकर आयी। राजा अपनी अंगुली से तलवार की धार देखने लगा तो धार बहुत तेज होने के कारण चट उसकी अँगुली कट गयी! मन्त्री पास में ही खड़ा था । वह बोला- भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! अब राजा के भीतर जमा गुस्सा बाहर निकला और उसने तुरन्त मन्त्री को राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दे दिया और कहा कि मेरे राज्य में अन्न-जल ग्रहण मत करना। मन्त्री बोला - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी!* *मन्त्री अपने घर पर भी नहीं गया, साथ में कोई वस्तु भी नहीं ली और राज्य के बाहर निकल गया।* *कुछ दिन बीत गये। एक बार राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने के लिये जंगल गया , जंगल में एक हिरण का पीछा करते-करते राजा बहुत दूर घने जंगल में निकल गया।उसके सभी साथी बहुत पीछे छूट गये वहाँ जंगल में डाकुओं का एक दल रहता था। उस दिन डाकुओं ने कालीदेवी को एक मनुष्य की बलि देने का विचार किया हुआ था। संयोग से डाकुओं ने राजा को देख लिया।उन्होंने राजा को पकड़कर बाँध दिया। अब उन्होंने बलि देने की तैयारी शुरू कर दी। जब पूरी तैयारी हो गयी, तब डाकुओं के पुरोहित ने राजा से पूछा- तुम्हारा बेटा जीवित है? राजा बोला- नहीं, वह मर गया। पुरोहित ने कहा कि इसका तो हृदय जला हुआ है। पुरोहित ने फिर पूछा-तुम्हारी पत्नी जीवित है? राजा बोला - वह भी मर चुकी है। पुरोहित ने कहा कि यह तो आधे अंग का है । अत: यह बलि के योग्य नहीं है। परन्तु हो सकता है कि यह मरने के भय से झूठ बोल रहा हो! पुरोहित ने राजा के शरीर की जाँच की तो देखा,कि उसकी अँगुली कटी हुई है। पुरोहित बोला-अरे! यह तो अंग-भंग है, बलि के योग्य नहीं है ! छोड़ दो इसको ! डाकुओं ने राजा को छोड़ दिया।* *राजा अपने घर लौट आया। लौटते ही उसने अपने आदमियों को आज्ञा दी कि हमारा मन्त्री जहाँ भी हो, उसको तुरन्त ढूँढ़कर हमारे पास लाओ। जब तक मन्त्री वापस नहीं आयेगा, तबतक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूँगा।* *राजा के आदमियों ने मन्त्री को ढूँढ़ लिया और उससे तुरन्त राजा के पास वापस चलने की प्रार्थना की। मन्त्री ने कहा - भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी! मन्त्री राजा के सामने उपस्थित हो गया । राजा ने बड़े आदरपूर्वक मन्त्री को बैठाया और अपनी भूल पर पश्चात्ताप करते हुए जंगल वाली घटना सुनाकर कहा कि 'पहले मैं तुम्हारी बात को समझा नहीं। अब समझमें आया कि भगवान् की मेरे पर कितनी कृपा थी! भगवान् की कृपा से अगर मेरी अँगुली न कटता तो उस दिन मेरा गला कट जाता! परन्तु जब मैंने तुम्हें राज्य से निकाल दिया, तब तुमने कहा कि भगवान् की बड़ी कृपा हो गयी तो वह कृपा क्या थी, यह अभी मेरी समझ में नहीं आया !* *मन्त्री बोला-महाराज, जब आप शिकार करने गये, तब मैं भी आपके साथ जंगल में जाता। आपके साथ मैं भी जंगल में बहुत दूर निकल जाता; क्योंकि मेरा घोड़ा आपके घोड़े से कम तेज नहीं है। डाकू लोग आपके साथ मेरे को भी पकड़ लेते। आप तो अँगुली कटी होने के कारण बच जाते पर मेरा तो उस दिन गला कट ही जाता! इसलिये भगवान की कृपा से मैं आपके साथ नहीं था, राज्य से बाहर था; अत: मरने से बच गया।* *अब पुन: अपनी जगह वापस आ गया हूँ। यह भगवान् की कृपा ही तो है!* *कहानी का सार यह है कि आज कल मनुष्य को सुविधा भोगने की इतनी बुरी आदत हो गयी है की थोड़ी सी भी विपरीत परिस्थिति में विचलित हो जाता है ,कई बार तो भगवान के अस्तित्त्व को भी नकारने लगता है उनके लिये यही संदेश है कि उस परमात्मा ने जब हम जन्म दिया है तो हमारा योगक्षेम भी वहां करने की जिम्मेदारी उसी की है बस हमे उसके प्रति निष्ठा बनाये रखनी होगी जैसे एक पिता के दो पुत्र हो एक कपूत दूसरा सपूत फिर भी पिता होने के नाते उसे दोनो की ही फिक्र रहेगी परंतु किसी भी कार्य अथवा सहयोग में प्राथमिकता सपूत को ही दी जाएगीु।* *इसी प्रकार हमें उस परमात्मा के प्रति निष्ठा बनाये रखनी होगी सुख दुख जीवन में धूप छांया की तरह बने रहते है कभी स्थायी नही रहते हमारे अंदर उनको व्यतीत करके का धैर्य जगाना होगा और यह केवल परमात्मा की भक्ति से ही संभव है।* *वनिता पंजाब*🌷🌷🌷 *जय श्री राम जय श्री कृष्ण*

वास्तु शास्त्र भवन-निर्माण का विज्ञान है। वास्तु के आधार पर बना भवन ब्रह्माण्ड से सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और भवन के अंदर ऊर्जा का संतुलन बना रहता है, जिससे वहाँ सुख, शांति, प्रगति और सौहार्द का माहौल उत्पन्न होता है। वास्तु-शास्त्र के सिद्धांत ठोस वैज्ञानिक तथ्यों पर टिके हुए हैं, जिनका प्रयोग जीवन को सही दिशा देने और अधिकतम फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इन सिद्धांतों के आधार पर यदि भवन बनाया जाए और वहाँ रहते या कार्य करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें, तो निश्चित ही बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए, चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ सिद्धांतों की, जो जीवन को सुखमय और आनंदपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी हैं। वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार मज़बूत तने वाले या ऊँचे-ऊँचे पौधे उत्तर-पूर्व, उत्तर व पूर्व दिशा में ही होने चाहिए। घर के आस-पास या घर के अन्दर कैक्टस, कीकर, बेरी या अन्य कांटेदार पौधे व दूध वाले पौधे लगाने से घर के लोग तनावग्रस्त, चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं और ऐसे पौधे स्त्रियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। घर में तेज़ ख़ुश्बूदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। साथ ही घर में चौड़े पत्ते वाले पौधे, बोनसाई व नीचे की तरफ़ झुकी बेलें नहीं लगानी चाहिए। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे सही प्रकार बढ़ें, सूखें नहीं और सूखने पर उन्हें तुरन्त बदल दें। घर में फलदार पौधे लगाना भी कभी-कभी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि जिस वर्ष फलदार पौधे पर फल कम लगें या न लगें, इस वर्ष आपको नुक़सान या परेशानी का सामना ज़्यादा करना पड़ेगा। *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*💐💐🙏🙏💐💐 घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें और तुलसी का पौधा ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर ही लगाना उचित है। तुलसी के पौधे पर कलावा व लाल चुन्नियाँ आदि नहीं बांधनी चाहिए। त�

सुषुम्ना को प्राणायाम से कैसे जगाएं, जानिए *वनिता पंजाब* 🌹🙏🙏🌹 कबहु इडा स्वर चलत है कभी पिंगला माही। सुष्मण इनके बीच बहत है गुर बिन जाने नाही।। बहुत छोटी-सी बात है, लेकिन समझने में उम्र बीत जाती है। हमारे रोगी और निरोगी रहने का राज छिपा है हमारी श्वासों में। व्यक्ति उचित रीति से श्वास लेना भूल गया है। हम जिस तरीके और वातावरण में श्वास लेते हैं उसे हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी ही पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं हो पाती तो सुषुम्ना कैसे होगी? दोनों नाड़ियों के सक्रिय रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं सताता और यदि हम प्राणायाम के माध्यम से सुषुम्ना को सक्रिय कर लेते हैं, तो जहां हम श्वास-प्रश्वास की उचित विधि से न केवल स्वस्थ, सुंदर और दीर्घजीवी बनते हैं, वहीं हम सिद्ध पुरुष बनाकर ईश्वरानुभूति तक कर सकते हैं। मनुष्य के दोनों नासिका छिद्रों से एकसाथ श्वास-प्रश्वास कभी नहीं चलती है। कभी वह बाएं तो कभी दाएं नासिका छिद्र से श्वास लेता और छोड़ता है। बाएं नासिका छिद्र में इडा यानी चंद्र नाड़ी और दाएं नासिका छिद्र में पिंगला यानी सूर्य नाड़ी स्थित है। इनके अलावा एक सुषुम्ना नाड़ी भी होती है जिससे श्वास प्राणायाम और ध्यान विधियों से ही प्रवाहित होती है। प्रत्येक 1 घंटे के बाद यह 'श्वास' नासिका छिद्रों में परिवर्तित होते रहती है। शिवस्वरोदय ज्ञान के जानकार योगियों का कहना है कि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने पर वह मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करती है। चंद्र नाड़ी से ऋणात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। जब सूर्य नाड़ी से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होती है तो शरीर को ऊष्मा प्राप्त होती है यानी गर्मी पैदा होती है। सूर्य नाड़ी से धनात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। प्राय: मनुष्य उतनी गहरी श्वास नहीं लेता और छोड़ता है जितनी एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए जरूरी होती है। प्राणायाम मनुष्य को वह तरीका बताता है जिससे मनुष्य ज्यादा गहरी और लंबी श्वास ले और छोड़ सकता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम की विधि से दोनों नासिका छिद्रों से बारी-बारी से वायु को भरा और छोड़ा जाता है। अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आ जाता है, जब चंद्र और सूर्य नाड़ी से समान रूप से श्वास-प्रश्वास प्रवाहित होने लगती है। उस अल्पकाल में सुषुम्ना नाड़ी से श्वास प्रवाहित होने की अवस्था को ही 'योग' कहा जाता है। प्राणायाम का मतलब है- प्राणों का विस्तार। दीर्घ श्वास-प्रश्वास से प्राणों का विस्तार होता है। एक स्वस्थ मनुष्य को 1 मिनट में 15 बार सांस लेनी चाहिए। इस तरह 1 घंटे में उसके श्वासों की संख्या 900 और 24 घंटे में 21,600 होनी चाहिए। स्वर विज्ञान के अनुसार चंद्र और सूर्य नाड़ी से श्वास-प्रश्वास के जरिए कई तरह के रोगों को ठीक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि चंद्र नाड़ी से श्वास-प्रश्वास को प्रवाहित किया जाए तो रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

*🍄ध्यान कब करें🍄* *🍄समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब राम राम जी🍄*🍄🙏🙏🍄 अभी बात आये गी, कि हम ध्यान कब करें?🍄 ध्यान !!! तो कब के लिए, हम सब से पहले खुद को देखेंगे, हमें खुद को देखना होगा, कियों कि,ध्यान हम शान्ति, सकून, चैन व ऊंचाई को पाने के लिए कर रहे हैं l🍄 और शान्ति कब मिले गी ? या कब होती है ?🍄 हम यदी पूरे दिन को देखें गे, सुबह को अमृत वेल्ला (प्रभात) के समय सवेरे, 4 या 5 बजे पूरा माहोल, पूरा वातावरण शांतमय, पुरसकून होता है l🍄 हर तरफ शांति, हर तरफ ख़ामोशी, यहाँ तक कि, हमारे अंदर में भी शान्ति होती है l बाहर भी शांती, और अंदर भी शांती l🍄 जैसे जैसी दिन निकले गा, वातावरण में शोर, आवाज़, हमारा उठना बैठना, शुरू हो जाये गा, और हमारे अंदर में भी कितने ही विचार आयें गे, कितने ही काम आयें गे, भाग दौड़ करें गे, आगे बढ़ें गे,🍄 फिर जैसे शाम होगी, फिर वातावरण शांत होने शुरू हो जाता है, फिर खामोशी हो जाती है और थोड़े समय के लिए वैसी ही पूर्ण शांती आ जाती है,🍄 शाम को कभी भी हम ध्यान से देखें गे, यहाँ तक कि, हमारे अंदर में भी थोड़े समय के लिए शान्ति आ जाती है, फिर जैसे ही रात होगी, फिर नींद, आलस, सोना और ख्याल और विचार, सभी आना शुरू हो जाएँ गे,🍄 तो जो सुबह और श्याम इतनी शान्ति होती है उसका अर्थ यह होता है कि🍄 जैसे सुबह हुई रात गयी और दिन आया, जब रात जा रही होती है और दिन आ रहा होता है, तो जब दोनों कुछ क्षणों के लिए, थोड़े वक़्त के लिए, एक साथ मिल जाते हैं, तो पूरा वातावरण शांत हो जाता है ,फिर जैसे ही दिन आया और रात गयी तो दोनों अलग अलग हुए, तो फिर जैसे ही दिन आया तो शोर होना शुरू हो जाता है l🍄 फिर दिन गया, रात आयी, जब वोह जा रहा होता है, तो फिर जब दोनों श्याम को कुछ क्षणों के लिए, थोड़े वक़्त के मिलते हैं, , तो फिर वातावरण शांत और पुरसुकून हो जाता है l🍄 फिर जैसे ही रात आयी दिन गया तो फिर नीद आलस सोना कितने विचार, कितने ख्याल आना शुरू हो जाते हैं🍄 तो जब दिन और रात दोनों मिलते हैं उसी समय पूर्ण शान्ति और सकून हो जाता है सुबह को भी श्याम को भी बाकी जब तक अलग अलग रहें गे, तब तक, विचार, परेशानी,शोर सब चलता रहता है l🍄 तो यह बात प्रत्येक दिन हमें सिखा रही है, कि हमारी आत्मा जब तक परमात्मा से अलग रहेगी तब तक कभी दुःख कभी सुख कभी ख़ुशी कभी गम कभी अंदर में उत्पाद ( उधम ) कभी आलस कभी मायूसी कभी खुशी यह चलते रहें गे l🍄 लेकिन हमें वोह सच्चा सुख सच्ची शान्ति तभी मिले गी जब हमारी आत्मा और परमात्मा एक हो जाएँ गे उस से मिल कर के हम एक होंगे l🍄 इसीलिए सुबह और श्याम दो वक़्त, दो समय ऐसे हैं, जब हम ध्यान में बैठें गे, उसी समय वातावरण भी शांत होगा, और, वोह भी हमें सहायता करे गा वोह भी हमें शांती प्रदान करेगा, और, हमारा अंदर भी उसी वातावरण की वजह से शांत होगा l🍄 फिर हम बैठें गे तो हमारा ध्यान सरलता से , आसानी से लगे गा और हमें उसे लगाने पर हम पर बहुत अच्छे तरीके से बेहतर प्रभाव पड़े गा , तो उसी वक़्त हमारा ध्यान, शांत वातावरण में, बहुत आसानी से और अच्छाई से लग जाता है l🍄 और अगर ध्यान हो जाये, तो अच्छा है, यदी , उसी वक़्त हम कर न पाएं तो फिर भी कोई बात नहीं लेकिन हम ध्यान करें ज़रूर, ध्यान करना अनिवार्य है l🍄 यदी हम सुबह को नहीं कर पाते, श्याम को नहीं कर पाते, कभी घर का काम है कभी आफिस का काम है, कभी दूकान का काम है, और हम नहीं कर पा रहे हैं, तो कोई बात नहीं, हमें जो भी अच्छा समय लगे, जो समय खाली लगे, हम अपना समय निर्धारित कर दें l यानि कि, समय निर्धारित करना महत्वपूर्ण है l🍄 सुबह, श्याम, हो तो अच्छा है, नहीं है, तो कोई भी समय निर्धारित करें, कियों कि मनुष्य का एक स्वभाव होता है कि, हर अच्छे काम को पीछे छोड़ना l हम देखें गे कि हमें सुबह को सवेरे कहीं जाना होगा, तो हम सुबह उठें गे, नहाएं गे तैयार होंगे नाश्ता लेंगे सामान पैक करें गे, ब्रिफकेस लें गे और काम पर जायेंगे, हमारा कुछ भी नहीं छूटे गा, किसी को भी हम नहीं छोड़ें गे, न नहाने को, न तैयार होने को, न नाश्ते को, न ब्रिफकेस लेने को, न सामान को छोड़ें गे l🍄 हम सब कुछ ले कर जायेंगे अगर छूटे गा तो सिर्फ यह होगा कि, उस दिन हम मंदिर नहीं जायेंगे कि ‘मुझे बहुत जल्दी है मैं नहीं जा सका’ सिर्फ मंदिर छूटे ग बाकी कुछ भी नहीं छूटे ग कियों कि इंसान का स्वभाव है कि हर अच्छे काम को पीछे छोड़ना l ध्यान, नाम सिमरन, वोह तो ऐसे हैं, जो हमें संसार में भी सुख दें लेकिन आगे साहिब तक पहुंचाएं, तो उसे हम कभी छोड़ें नहीं इसलिए नाम को ऐसे जोड़ कर के रखें कि जब समय निर्धारित हो जाता है तो फिर हमारी एक आदत सी बन जाती है, फिर उसी ,समय जहाँ कहीं भी होंगे जैसे भी होंगे, तो हमारा दिमाग सोचे गा कि हमारे ध्यान का समय हो गया है, और हम ध्यान करें गे l यदी कोई समय निर्धारित नहीं करें गे, तो कहें गे कि, अभी करता हूँ बाद में करता हूँ थोड़ी देर के बाद करता हूँ और ऐसे करते हुए, समय भी पूरा हो जायेगा और हम बिसतर में सो जायेंगे, लेकिन हम ध्यान नहीं कर पाएंगे l अधिकतर ऐसे ही होता है, इस लिए उसको ऐसे बना के रखो जैसे हम हर दिन खाना खाते हैं l हम हर दिन तीन बार खाना खाते हैं, लेकिन कभी खाना याद कर के नहीं खाते है, हम जैसे खाना खाने का समय होता है हम खाना खा लेते हैं, हम प्रतेक दिन तीन बार खाना खाते हैं परन्तु उसे सिर्फ याद नहीं करते हैं पर समय पर खा लेते हैं सिर्फ उसे बैठ कर याद नहीं करते l🍄 यदी कभी एक दिन उपवास या व्रत रखें, तो दिन में कितनी बार खाना याद आता है हर दिन तीन बार खाते हैं, कभी याद नहीं आता, एक दिन सिर्फ उपवास रखा, कितनी बार खाना याद आया, और बड़ी बात यह नहीं कि खाना याद आया, बड़ी बात यह है कि, जब खाने का वक़्त गुज़र जाता है फिर कहते हैं कि ‘अभी तो भूख ही मर गयी, अब में रात को एकसाथ खा लूं गा l🍄 वास्तव में भूक मरी नहीं उस समय हमें भूख लगी थी कियों कि, हमें उस समय समय खाना खाने की आदत थी🍄 जब वोह समय आया, उस की याद आयी, उस आदत ने हमें सताया, वोह याद नहीं पर वोह आदत का समय गुज़र गया तो फिर हमें भूख ही नहीं थी l🍄 वैसे ही जब हम ध्यान में बैठें गे तो उस खाने की तरह हम खुद में आदत ड़ाल दें🍄 तो जहाँ कहीं भी हों तो उस समय हमें ध्यान का समय याद आये गा कि हमारे ध्यान का समय है तो हम ध्यान कर पाएंगे l इसीलिए ध्यान और सिमरन से खुद को जोड़ के रखिये, कि जैसे हम हर दिन खान खाते हैं🍄 हम प्रतेक दिन बच्चों को तैयार कर के इस्कूल भेजते हैं, रात को किसी वक़्त कैसे भी सोएं, वच्चों का वक़्त होता है, हम उसी वक़्त उठते हैं बच्चों को तैयार करते हैं बस हर दिन की दिनचर्या है l🍄 हमारा दूकान है ऑफिस है हम रात को कितनी भी देर से सोएं, कैसे भी थके हों, सुबह को उठते हैं चाबियाँ ले के खुद पहुँच जाते हैं l तो जैसे,हम हर दिन, हम, अपने समय से काम करते हैं,नाम सिमरन को भी, हम, वैसे ही खुद स, अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें l🍄 यह न बताएं,कि यह कोई बड़ी चीज़ है,या ऊंची चीज़ है, पर हमारी दिनचर्या है, और हमें महसूस भी नहीं होगा, और हम संभलते जायेंगे, हम सुधरते जायेंगे हम सत्यकर्मी बनते जाएँ गे l🍄 सत्य कर्मों की वजह से सदा ही सुख लेते हुए, हम आगे बड़ पाएंगे, इसलिए हो सके तो सुबह श्याम, यदी सुबह श्याम न कर पाएं, तो किसी समय, कहीं पर भी परन्तु, अपना समय निर्धारित कर लें, और उसी समय हम नाम ध्यान करें तो हमारी अंदर की ऊंचाई बढ़ती जायेगी l🍄 समय निर्धारित करना,अत्यंत आवयशक है l🍄वास्तु शास्त्र भवन-निर्माण का विज्ञान है। वास्तु के आधार पर बना भवन ब्रह्माण्ड से सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और भवन के अंदर ऊर्जा का संतुलन बना रहता है, जिससे वहाँ सुख, शांति, प्रगति और सौहार्द का माहौल उत्पन्न होता है। वास्तु-शास्त्र के सिद्धांत ठोस वैज्ञानिक तथ्यों पर टिके हुए हैं, जिनका प्रयोग जीवन को सही दिशा देने और अधिकतम फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इन सिद्धांतों के आधार पर यदि भवन बनाया जाए और वहाँ रहते या कार्य करते समय कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें, तो निश्चित ही बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए, चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ सिद्धांतों की, जो जीवन को सुखमय और आनंदपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी हैं।वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार मज़बूत तने वाले या ऊँचे-ऊँचे पौधे उत्तर-पूर्व, उत्तर व पूर्व दिशा में ही होने चाहिए। घर के आस-पास या घर के अन्दर कैक्टस, कीकर, बेरी या अन्य कांटेदार पौधे व दूध वाले पौधे लगाने से घर के लोग तनावग्रस्त, चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं और ऐसे पौधे स्त्रियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। घर में तेज़ ख़ुश्बूदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। साथ ही घर में चौड़े पत्ते वाले पौधे, बोनसाई व नीचे की तरफ़ झुकी बेलें नहीं लगानी चाहिए। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे सही प्रकार बढ़ें, सूखें नहीं और सूखने पर उन्हें तुरन्त बदल दें। घर में फलदार पौधे लगाना भी कभी-कभी हानिकारक हो सकता है, क्योंकि जिस वर्ष फलदार पौधे पर फल कम लगें या न लगें, इस वर्ष आपको नुक़सान या परेशानी का सामना ज़्यादा करना पड़ेगा।*समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*💐💐🙏🙏💐💐घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें और तुलसी का पौधा ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर ही लगाना उचित है। तुलसी के पौधे पर कलावा व लाल चुन्नियाँ आदि नहीं बांधनी चाहिए। त�

 🌺 जानिए किस देवता के तेज से देवी दुर्गा के कौन से अंग बने 🌺 भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख प्रकट हुआ।  यमराज के तेज से मस्तक के केश।  भगवान विष्णु के तेज से भुजाएं।  चंद्रमा के तेज से स्तन।  इंद्र के तेज से कमर।  वरुण के तेज से जंघा।  पृथ्वी के तेज से नितंब।  ब्रह्मा के तेज से चरण।  सूर्य के तेज से दोनों पौरों की अंगुलियां,  प्रजापति के तेज से सारे दांत।  अग्नि के तेज से दोनों नेत्र।  संध्या के तेज से भौंहें।  वायु के तेज से कान।  अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने हैं।  कहा जाता है कि फिर शिवजी ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, वरुण ने दिव्य शंख, हनुमानजी ने गदा, शेषनागजी ने मणियों से सुशोभित नाग, इंद्र ने वज्र, भगवान राम ने धनुष, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने सवारी के लिए सिंह को प्रदान किया।  इसके अतिरिक्त समुद्र ने बहुत उज...
 Who is a perfect Spiritual being? Generally we misunderstood the lack of proper knowledge about Pristine Scriptures, may be we can't understand what is written in it or fail to connect with our day to day life appliances. In that situation we consider those people who has some extra definitions or explanations of something we are unaware of it. But not all time it is Spiritual!! Vnita punjab🌹🌹🙏🙏🌹🌹🇮🇳💗 A perfect Spiritual person is the one who is Highly conscious or God-realised or a Guru or the One who is fully aware of everything but it is not required that they will always possess supernatural activities/powers/mystics. If we see deeply then Mystics abilities are totally different from Spiritualism, but modern Gurus or followers has closed their eyes to see the practical thing and they assume that 'Mysticism is directly proportional to Spiritualism'. A person having mystic powers may not be spiritual, can be a black magic experiencers, a tantric, whic...
 THE YOGA HAVE BEEN PRACTICING FROM MORE THAN 14+ YEARS - Raja yoga combined with Bhakti yoga. 1. RAJA YOGA -  Raja yoga popularly known as 'King of all yogas'. It can be considered as the yoga which totally deals with mind and there is no physical struggling exercises like Hatha Yoga. It is more centered on mind fitness than physical fitness. Physical fitness can make a person a good looking, attractive, less affected by diseases but mental fitness makes a person aware of the TRUTH, complete, an identifier of reality. But both are mandatory for any beings to live a healthy life. The philosophy of Raja yoga goes beyond the boundaries of many styles of yoga practising today.  Vnita punjab🌹🌹🙏🙏🌹🌹🇮🇳💗 The eight steps of Raja Yoga provide systematic instruction to attain inner peace, clarity, self-control and Realisation- 1. Yamas (Abstentions):   -Ahimsa (non-injury, nonviolence ),  -Satya (truthfulness),  -Asetya (non-stealing),  -Brahmachary...
 Why After Death, the Ordinary Man Forgets His Former Life: Unnatural death, and death in a state of bodily attachment, are not only painful, they also obscure memory. Of course, unless one is spiritually advanced, it is not always desirable to remember one's former life. The after-death oblivion of one's previous identity allows him to forget his past consciousness of failure, pain, and attachments, and to begin life anew. The only disadvantage is that if he has not learned from past wrong actions, he may repeat those experiences, ignoring the warning of their consequences-just as the inveterate alcoholic continues to drink the infernal liquid, even with the conscious knowledge of probable death from liver damage. Vnita punjab 🌹🌹🙏🙏🌹🌹💗🇮🇳 Though the pure consciousness of the soul maintains a continuity of remembrance from one life to another, the body identified consciousness does not. The fact is, memory after death cannot survive under the following conditions- (a) if...